Bathnaha Assembly Seat: जातीय समीकरण और बीजेपी का दस साल का वर्चस्व
बथनाहा विधानसभा सीट पर पिछले तीन चुनावों से बीजेपी का कब्जा रहा है। जानिए इस सीट का राजनीतिक इतिहास, जातीय समीकरण और आगामी बिहार चुनाव 2025 में क्या हो सकता है समीकरण।

सीतामढ़ी जिले की बथनाहा विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 24) बिहार की राजनीति में एक अहम स्थान रखती है। यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और 1967 से अस्तित्व में है। शुरुआत में यह सामान्य सीट हुआ करती थी, लेकिन वर्ष 2010 में इसे आरक्षित कर दिया गया। वर्तमान में यह सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में है और पिछले तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा ने लगातार जीत हासिल की है।
राजनीतिक सफर: 2010 से बीजेपी की मजबूत पकड़
बथनाहा सीट पर भाजपा ने 2010 से अपना वर्चस्व बनाए रखा है।
2010 चुनाव: बीजेपी के दिनकर राम ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की ललिता देवी को हराकर सीट जीती थी।
2015 चुनाव: दिनकर राम ने कांग्रेस के सुरेंद्र राम को हराया और 74,763 वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस को 54,597 वोट मिले।
2020 चुनाव: इस बार बीजेपी के अनिल राम ने कांग्रेस के संजय राम को 46,818 वोटों के भारी अंतर से हराया। अनिल राम को 92,648 वोट मिले जबकि कांग्रेस को सिर्फ 45,830 वोटों से संतोष करना पड़ा।
जातीय समीकरण
इस क्षेत्र में कोइरी, पासवान और रविदास समुदाय की अहम भूमिका रहती है। यह जातियां मतदाता समीकरण को काफी हद तक प्रभावित करती हैं।
कुल मतदाता: 2,64,299
पुरुष मतदाता: 1,38,385
महिला मतदाता: 1,25,901
इस जातीय विविधता के चलते यहां चुनावी रणनीति बनाना हर राजनीतिक दल के लिए एक बड़ी चुनौती होती है।
जैसे-जैसे 2025 का चुनाव नजदीक आ रहा है, बथनाहा सीट एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक केंद्र बन गई है। विपक्षी दल भाजपा के लगातार जीत के रिकॉर्ड को तोड़ने की योजना बना रहे हैं, वहीं बीजेपी इस किले को बरकरार रखने के लिए पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है।