Bihar Vidhansabha Chunav 2025: भारत-पाकिस्तान में लड़ाई हुई शुरु तो क्या टलेगा बिहार चुनाव? इलेक्शन पर युद्ध का कितना प्रभाव पड़ेगा?जानिए

Bihar Vidhansabha Chunav 2025:भारत और पाकिस्तान में जंग शुरु होने की सूरत में बिहार विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ सकता है।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025
क्या टलेगा बिहार चुनाव?- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025:  अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसका सीधा असर बिहार विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। इतिहास गवाह है कि जब भी देश युद्ध के हालात में गया है, तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं — खासकर चुनावों — पर असर पड़ा है।

कारगिल युद्ध (1999) और भारत-चीन युद्ध (1962) इसके बड़े उदाहरण हैं।1962 में भारत-चीन युद्ध के चलते कई राज्यों में चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हुई थी। आपात हालात के कारण तत्कालीन सरकारों को कई राजनीतिक फैसले टालने पड़े थे।

1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी देश में जबरदस्त तनाव था। हालांकि लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन युद्ध के माहौल ने राजनीतिक अभियानों का तरीका पूरी तरह बदल दिया था। कई जगह चुनावी रैलियां रद्द करनी पड़ीं और माहौल पूरी तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर केंद्रित हो गया था।

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आज की परिस्थिति में अगर भारत-पाकिस्तान के बीच वास्तविक जंग होती है, तो बिहार में प्रस्तावित चुनाव या तो स्थगित हो सकते हैं या फिर चुनाव प्रचार पूरी तरह बदला हुआ नजर आएगा। सरकार और निर्वाचन आयोग, दोनों को इस संभावना को ध्यान में रखकर रणनीति बनानी पड़ सकती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर देश की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं, और ऐसे समय में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को स्थगित करना भी संविधान सम्मत होता है, यदि स्थिति असाधारण हो।

बिहार पाकिस्तान की सीमा से काफी दूर स्थित है। युद्ध की स्थिति में भी, वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध के प्रभाव से सुरक्षित रह सकता है। यदि सुरक्षा बल और प्रशासनिक संसाधन उपलब्ध हों, तो चुनाव आयोग चुनाव कराने का निर्णय ले सकता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी बिहार में कोविड-19 महामारी के बावजूद समय पर चुनाव हुए, जो आयोग की असाधारण परिस्थितियों में चुनाव कराने की क्षमता को दर्शाता है। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति में भी बिहार में मतदान संभव है।

अगर युद्ध होता है, तो बिहार चुनाव की तारीखें आगे खिसक सकती हैं या सुरक्षा कारणों से प्रक्रियाओं में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। फिलहाल, सारी नजरें केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग की अगली रणनीति पर टिकी हैं।

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