Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की बेटियां बनीं सियासी विरासत की वारिस, परिवार की राजनीति में अब महिलाओं की मजबूत दस्तक

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की राजनीति में अब महिलाएं केवल जनसंख्या या सहानुभूति का प्रतीक नहीं रहीं, बल्कि सत्ता के केंद्र में अपनी ठोस मौजूदगी दर्ज करा रही हैं। ...

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की बेटियां बनीं सियासी
बिहार की बेटियां बनीं सियासी विरासत की वारिस- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की राजनीति में अब महिलाएं केवल जनसंख्या या सहानुभूति का प्रतीक नहीं रहीं, बल्कि सत्ता के केंद्र में अपनी ठोस मौजूदगी दर्ज करा रही हैं। खास बात यह है कि ये महिलाएं अब सियासी विरासत की नई वाहक बनकर उभर रही हैं। पिता, पति, ससुर या मां की छोड़ी हुई राजनीतिक जमीन पर कदम रखते हुए उन्होंने न केवल विरासत को संभाला, बल्कि जीतकर यह साबित किया कि अब “घर की राजनीति” भी “महिला नेतृत्व” के बिना अधूरी है।2020 के विधानसभा चुनाव इसका बड़ा उदाहरण हैं। उस चुनाव में विजयी 26 महिलाओं में से 16 महिलाएं राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखती हैं। इनमें कई ऐसी हैं, जिन्होंने अपने पति या पिता की छोड़ी हुई सीट पर जीत दर्ज की और राजनीति में खुद को स्थापित किया।श्रेयसी सिंह अपने पिता दिग्विजय सिंह की विरासत को आगे बढ़ा रहीं है।

नीतू कुमारी,पति और ससुर: सजायाफ्ता, हिसुआ से 2020 में कांग्रेस विधायक बनीं (2010-15 में हार के बाद), परिवार की कानूनी परेशानियों के बावजूद 2020 में जीत, 2025 में मजबूत दावेदार। 

विभा देवी, पति: नवादा के पूर्व विधायक, नवादा से 2020 में जीत; 2025 चुनावों में सक्रिय, बाहुबली पति की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। 

अरुणा देवी, पति: वारिसलीगंज के पूर्व नेता, वारिसलीगंज से विधायक; परिवार की राजनीति में मजबूत पकड़, पति की अनुपस्थिति में सीट बचाई। 

पूर्णिमा यादव, पति: नवादा के पूर्व विधायक, पूर्व विधायक; 2025 में वापसी की कोशिश, यादव परिवार की सियासी लाइन को मजबूत कर रही हैं। 

निशा सिंह, पति: प्राणपुर से 2000-2015 तक विधायक, प्राणपुर से 2020 में जीत, पति की विरासत को बखूबी संभाल रही हैं। 

किरण देवी, पति: संदेश से 2015-20 तक विधायक, संदेश से 2020 में जीत, उपचुनाव में पति की सीट बचाई। 

अनीता देवी,पति: नोखा से 1995 विधायक, नोखा से 2020 में जीत,लंबे समय बाद परिवार की सीट पर कब्जा। 

मीसा भारती,पिता: लालू प्रसाद यादव, राज्यसभा सांसद; 2025 लोकसभा दावेदार,भाई तेजस्वी के साथ मिलकर RJD की कमान संभाल रही हैं, लेकिन बेटी के रूप में विरासत में पीछे रहीं। 

दिव्या प्रकाश,पिता: जयप्रकाश नारायण यादव (RJD), युवा नेता; 2020 से सक्रिय, पिता की देखरेख में सियासी पारी शुरू, नई पीढ़ी की उम्मीद। 

पुष्पम प्रिया चौधरी, पिता: विनोद कुमार चौधरी, Plurals Party प्रमुख; 2020 में महागठबंधन उम्मीदवार अपनी पार्टी बनाकर विरासत को नया रूप दे रही हैं। 

प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक निशा सिंह के पति इस सीट से 2000 से 2015 तक लगातार जनता के प्रतिनिधि रहे। जनता ने उसी भरोसे को पत्नी पर भी जताया और निशा सिंह को विधान सभा भेजा।संदेश सीट से किरण देवी ने अपने पति की विरासत को आगे बढ़ाया। उनके पति 2015-2020 तक इस सीट से एमएलए थे।

नोखा से अनीता देवी ने जीत दर्ज की। उनके पति 1995 में इसी सीट से विधायक बने थे। वर्षों बाद पत्नी ने वही जनादेश दोहराया।मोकामा में अनंत सिंह की सियासी कहानी बिहार में प्रसिद्ध है। 2005 से 2020 तक लगातार विधायक रहे अनंत सिंह के जेल जाने के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी मैदान में उतरीं — और जनता ने “नेता पत्नी” को भी भरोसे का मत दिया।

महनार सीट पर भी कहानी कुछ ऐसी ही रही। रामा किशोर सिंह वर्ष 2000 और 2005 में विधायक चुने गए थे। बाद में उनकी पत्नी ने उसी सीट से जीतकर सियासी विरासत को आगे बढ़ाया।गोपालगंज के उपचुनाव में कुसुम देवी ने अपने दिवंगत पति सुभाष सिंह, जो चार बार एमएलए रहे, की विरासत को मजबूती से संभाला।

वहीं नवादा से जीतने वाली विभा देवी के पति राजबल्लभ यादव तीन बार 1995, 2000 और 2015  इस सीट से विधायक रहे। पति के राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाते हुए विभा देवी ने भी जनता का भरोसा जीता।बिहार की राजनीति में यह नया दौर इस बात का संकेत है कि महिलाएं अब केवल परिवार की सियासत का “चेहरा” नहीं, बल्कि उसकी “धुरी” बन रही हैं। चाहे सत्ता की विरासत हो या संघर्ष की, अब वे न सिर्फ पीछे खड़ी हैं, बल्कि आगे बढ़कर नेतृत्व की बागडोर थाम रही हैं।