Bihar Vidhansabha chunav 2025: सीएम नीतीश फिर मारेंगे पलटी! बिहार एनडीए में टूट! सीट बंटवारे से सीएम नाराज, सीएम हाउस में दोपहर 12 बजे बैठक, BJP का छुटने लगा पसीना

नीतीश बिहार की राजनीति के वो तुरुप के पत्ते हैं जिनको दोनों गठबंधन अपने साथ रखना चाहता है लेकिन सीट बंटवारे के बाद फिर नीतीश पलटी मारेंगे!

Bihar Vidhansabha chunav 2025: सीएम नीतीश फिर मारेंगे पलटी!
सीएम नीतीश फिर मारेंगे पलटी!- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले एनडीए में लंबे समय से चल रही खींचतान के बाद  आखिरकार सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय कर लिया गया। इस बार बीजेपी और जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि पहले जेडीयू ने हमेशा बीजेपी से अधिक सीटें जीती थीं। इससे एनडीए में जेडीयू की ‘बड़े भाई’ वाली स्थिति घट गई है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की “पलटीमार” हिस्ट्री भाजपा के लिए हमेशा चिंता का विषय रही है। 2013 में BJP से अलग, 2015 में RJD के साथ, 2017 में NDA में वापसी, 2022 में महागठबंधन के साथ और 2024 में फिर NDA में लौटे नीतीश ने कई बार साफ कर दिया कि अब कोई पलटी नहीं। लेकिन भाजपा जानती है कि यदि नीतीश को CM पद न मिला, तो वह महागठबंधन की ओर रुख कर सकते हैं और गठबंधन इसके लिए तैयार भी है। वहीं बिहार में सियासी तापमान लगातार बदल रहा है।

 सीट बंटवारे के बाद भी एनडीए में हड़कंप मचा हुआ है। एनडीए में सीट शेयरिंग से नीतीश कुमार नाराज हैं। 9 सीटों को लेकर उन्होंने आपत्ति जताई है। इस खींचतान के बीच सीएम हाउस में दोपहर 12 बजे बैठक होगी। जिसमें जदयू के बड़े नेता शामिल होंगे।वहीं राजद सुप्रीमो लालू ने अपने सभी प्रत्याशियों सिंबल देने के बाद फिर वापस ले लिया है। वहीं चर्चा है कि तेजस्वी के खास और राज्यसभा सांसद संजय यादव अहले सुबह सीएम नीतीश से मिलने पहुंचे थे।इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव से पहले सीएम नीतीश एनडीए छोड़ सकते हैं। वहीं चर्चा है कि नीतीश के कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों को सिंबल देने से लोजपा नाराज है। ऐसी चर्चा है कि चिराग भी एनडीए से अलग राह अपना सकते हैं। चर्चा है कि चिराग एनडीए से बाहर होंगें तो मुकेश सहनी एनडीए में शामिल हो सकते हैं।

हाल के दिनों में एनडीए में सियासी खींचतान चरम पर पहुँच गई थी। राजगीर सीट को लेकर विवाद सबसे बड़ा था, जो जेडीयू की सिटिंग सीट मानी जाती है, लेकिन लोजपा(रा.) को देने की पेशकश से मुख्यमंत्री भड़क उठे। नीतीश ने स्पष्ट कर दिया कि “राजगीर किसी भी हालत में जेडीयू के हाथ से नहीं जाएगी।” इसी तरह मोरवा और तारापुर सीटों पर भी विवाद है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तारापुर से चुनाव लड़ेंगे। उनका नामांकन 16 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के CM यगी आदित्यनाथ और भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रह सकते हैं।जेडीयू मोरवा सीट को भी किसी कीमत पर चिराग़ पासवान को नहीं देना चाहती, जबकि चिराग़ भी अड़े हैं। नतीजतन, एनडीए में मतभेद खुलकर सामने आए। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्वयं पटना आकर इस गतिरोध को सुलझाने की संभावना तलाश सकते हैं।

सोनबरसा सीट को लेकर भी विवाद है, जहाँ जेडीयू विधायक और मंत्री रत्नेश सदा को दोबारा उम्मीदवार बनाया गया। मुख्यमंत्री ने खुद रत्नेश सदा को पार्टी सिंबल सौंपकर संदेश दिया कि “जेडीयू अपने फैसलों पर कायम रहेगी।” इस तरह जेडीयू ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल देना शुरू कर दिया है, जिसमें मोकामा से बाहुबली अनंत सिंह, उमेश सिंह कुशवाहा, सुनील कुमार, शैलेश कुमार, बिजेंद्र प्रसाद यादव, संतोष निराला और अन्य शामिल हैं।

नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक — कुर्मी (4%), कोइरी (6%) और अन्य EBC (27%)  एनडीए की रीढ़ है। 2020 में जेडीयू ने 43 सीटें जीती थीं, जिनमें उनका वोट शेयर 15% था, जबकि एनडीए का कुल वोट 37% रहा। बीजेपी का वोट मुख्यतः अपर-कास्ट और शहरी मध्यम वर्ग तक सीमित है।

नीतीश की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए यह उनकी संभावित अंतिम राजनीतिक पारी हो सकती है। बीजेपी जानती है कि जब तक नीतीश मजबूत हैं, जेडीयू का अस्तित्व सुरक्षित है। यदि नीतीश पार्टी के रोजमर्रा के कामकाज से दूर हुए, तो EBC और महादलित वोटर महागठबंधन या अन्य विकल्पों की ओर मुड़ सकते हैं। ऐसे में बिहार में बीजेपी की जीत हमेशा के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाएगी। यही कारण है कि बीजेपी नीतीश कुमार का साथ कभी नहीं छोड़ेगी।

नीतीश बिहार की राजनीति के वो तुरुप के पत्ते हैं जिनको दोनों गठबंधन अपने साथ रखना चाहता है लेकि सीट बंटवारे के बाद सवाल है कि क्या फिर नीतीश पलटी मारेंगे।



रिपोर्ट- नरोत्तम कुमार सिंह