Kishanganj Vidhansabha: सीमांचल की सियासत का सेंटर है ये सीट, इस बार किसके हाथ लगेगा ताज?
बिहार की महत्वपूर्ण किशनगंज विधानसभा सीट, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। 2020 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन 2025 में मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है।

Kishanganj Vidhan Sabha: किशनगंज विधानसभा सीट, बिहार के सीमांचल क्षेत्र की एक प्रमुख और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीट है। यह सीट न केवल मुस्लिम बहुल जनसंख्या के कारण चर्चा में रहती है, बल्कि यहां के चुनावी परिणाम अक्सर राज्य की राजनीति की दिशा भी तय करते हैं।
जनसंख्या और सामाजिक संरचना
किशनगंज विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या लगभग 2.93 लाख है। इसमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 60.9% है, जो इसे बिहार की कुछ चुनिंदा मुस्लिम बहुल सीटों में शामिल करती है। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के मतदाता क्रमशः 5.85% और 4.78% हैं। क्षेत्र की 74.89% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जबकि 25.11% शहरी क्षेत्रों में रहती है।
चुनावी इतिहास और परिणाम
2020 विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस के इजहारुल हुसैन ने भाजपा की स्वीटी सिंह को 1,381 वोटों के मामूली अंतर से हराया। इजहारुल हुसैन को 61,078 वोट मिले, जबकि स्वीटी सिंह को 59,967 वोट प्राप्त हुए। यह मुकाबला बेहद करीबी था, जिसमें AIMIM के पूर्व विधायक क़मरुल होदा तीसरे स्थान पर रहे। 2015 और 2010 में, कांग्रेस के डॉ. मोहम्मद जावेद ने लगातार दो बार जीत हासिल की थी। 2015 में उन्होंने स्वीटी सिंह को 8,609 वोटों से हराया था, जबकि 2010 में मात्र 264 वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की थी। 2005 में, RJD के अख्तरुल ईमान ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2000 में RJD के ही प्रो. रवींद्र चरण यादव विजयी हुए थे।
राजनीतिक समीकरण
किशनगंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस का प्रभाव लंबे समय से बना हुआ है, लेकिन हाल के वर्षों में AIMIM और भाजपा ने भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। AIMIM के क़मरुल होदा की 2019 में जीत ने यह संकेत दिया था कि मुस्लिम वोट बैंक अब विभाजित हो सकता है। हालांकि, 2020 में कांग्रेस ने यह सीट वापस हासिल कर ली।
इस बार कौन हो सकते हैं दावेदार?
आगामी चुनाव में किशनगंज विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है, जिसमें कांग्रेस, भाजपा और AIMIM प्रमुख दावेदार होंगे। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के कारण, उम्मीदवारों की छवि, पार्टी की नीतियां और स्थानीय मुद्दे निर्णायक भूमिका निभाएंगे। कांग्रेस को अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए AIMIM और भाजपा दोनों से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
किशनगंज विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यहां के चुनावी परिणाम न केवल सीमांचल क्षेत्र की दिशा तय करते हैं, बल्कि राज्य स्तर पर भी प्रभाव डालते हैं। आगामी चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी जनता का विश्वास जीतती है और इस महत्वपूर्ण सीट पर कब्जा जमाती है।