Bihar Vidhansabha chunav 2025: एनडीए में सीट शेयरिंग विवाद बढ़ा, भागलपुर सांसद ने दिया इस्तीफे की धमकी, इस कारण बढ़ी नाराज़गी
Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए के घटक दलों ने जैसे-तैसे सीटों का बंटवारा तो कर लिया है, लेकिन आंतरिक घमासान और असहमति लगातार बढ़ती जा रही है।

Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए के घटक दलों ने जैसे-तैसे सीटों का बंटवारा तो कर लिया है, लेकिन आंतरिक घमासान और असहमति लगातार बढ़ती जा रही है। दिल्ली से पटना लौटे जेडीयू और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कई घंटे तक बैठकें कीं, लेकिन सीट शेयरिंग पर स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई।
इसी बीच, भागलपुर के सांसद अजय कुमार मंडल ने अपने सांसद पद से इस्तीफा देने की अनुमति के लिए पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखा। उनके पत्र में साफ तौर पर नाराज़गी और असंतोष झलकता है। उन्होंने लिखा कि विधायक और सांसद के रूप में जनता की सेवा करते हुए उन्होंने जनता दल (यू०) को अपने परिवार की तरह समझा और संगठन, कार्यकर्ताओं तथा जनसंपर्क को मजबूत किया।सांसद अजय कुमार मंडल ने 14 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी नेतृत्व को भेजे पत्र में लिखा है कि पिछले 20-25 सालों से वे संगठन और जनता की सेवा कर रहे हैं, लेकिन अब उनके क्षेत्र में टिकट बंटवारे को लेकर उनकी राय को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि पार्टी के कुछ लोग उनके लोकसभा क्षेत्र में टिकट बांटने का काम कर रहे हैं, और संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है।
मंडल ने बताया कि हाल के महीनों में संगठन में ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जो पार्टी और उसके भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। स्थानीय सांसद होने के बावजूद टिकट वितरण में उनकी राय को नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है जिन्होंने कभी पार्टी के लिए सक्रिय योगदान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय जिला अध्यक्ष और स्थानीय नेतृत्व की राय को पूरी तरह अनदेखा करता है।
अजय कुमार मंडल ने याद दिलाया कि जब वे 2019 में सांसद बने थे, तब पूरे बिहार में पार्टी जितनी भी विधानसभा उपचुनाव लड़ी, केवल उनके नेतृत्व में भागलपुर सीट जीत सुनिश्चित हुई थी। यह उनकी निष्ठा और जनता के विश्वास का प्रतीक है।
उन्होंने आगे लिखा कि जब संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की राय का कोई महत्व नहीं रहा, तो उन्हें अपने सांसद पद पर बने रहने का औचित्य समझ नहीं आता। मंडल ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी प्रकार की नाराज़गी या विरोध नहीं है, बल्कि पार्टी और नेतृत्व को भविष्य में हानि से बचाना है।
उन्होंने चेताया कि यदि इसी तरह बाहरी या निष्क्रिय लोगों को प्राथमिकता दी जाती रही, तो पार्टी की जड़ें कमजोर होंगी और इसका असर मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर भी पड़ेगा। अंत में उन्होंने विनम्र अनुरोध किया कि आत्मसम्मान और संगठन के प्रति निष्ठा के चलते उन्हें सांसद पद से त्यागपत्र देने की अनुमति दी जाए।
इस घटनाक्रम से साफ़ संकेत मिलता है कि एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि संगठनात्मक और स्थानीय नेतृत्व के सम्मान से जुड़ा मामला भी बन गया है। भाजपा और जेडीयू के बीच तालमेल और सहयोगी दलों की संतुष्टि के बिना सीटों का अंतिम बंटवारा चुनौतीपूर्ण स्थिति में है।
रिपोर्ट- अंजनी कश्यप