Bihar Politics: पटना में वोटर अधिकार यात्रा का समापन की ओर, कांग्रेस-आरजेडी में सीटों की रस्साकशी तेज! राहुल-तेजस्वी की डील कब होगी पक्की?" सियासी टेंशन बरकरार

Bihar Politics:पटना में वोटर अधिकार यात्रा का समापन जहां कांग्रेस के लिए कार्यकर्ताओं की ऊर्जा का प्रदर्शन है, वहीं पर्दे के पीछे सीट बंटवारे की जंग असली कसौटी है।

Congress and RJD increases political tension
कांग्रेस-आरजेडी में सीटों की रस्साकशी तेज! - फोटो : social Media

Bihar Politics: सितंबर का महीना बिहार की सियासत में चुनावी तैयारियों का सबसे अहम दौर साबित हो रहा है। आज पटना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा का अंतिम दिन है। पूरे देश से विपक्षी नेताओं का जमावड़ा पटना में लगा है। राजधानी में शक्ति प्रदर्शन का बड़ा मंच तैयार है। लेकिन असल चुनौती सड़क पर नहीं, बल्कि सीटों के बंटवारे की टेबल पर है।

2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटों पर लड़ने का मौका मिला था, लेकिन वह केवल 19 सीटें ही जीत पाई। कागज पर अब भी कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं, हालांकि दो विधायक नीतीश सरकार के बहुमत परीक्षण में सत्ता पक्ष की ओर बैठ गए थे। इसके बावजूद कांग्रेस का दावा है कि इस बार वह 70 सीटों पर पक्की दावेदारी करेगी। पार्टी के नेताओं का कहना है कि 19 मौजूदा सीटों के अलावा 51 अन्य सीटों पर भी उसका मजबूत आधार है।

मगर यहां सबसे बड़ा पेच है राष्ट्रीय जनता दल । लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस को सीट शेयरिंग में देरी का नुकसान झेलना पड़ा था। जब तक कांग्रेस बातचीत आगे बढ़ाती, राजद कई सीटों पर टिकट बांट चुका था। यही वजह थी कि पप्पू यादव जैसे चेहरे नाराज होकर निर्दलीय मैदान में उतर गए। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पहले से साफ कर देना चाहती है कि देरी अब नहीं चलेगी।

प्रदेश कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार चुनने के लिए इस बार टेक्नोलॉजी का सहारा लिया है। सभी 243 सीटों के लिए QR कोड के जरिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए हैं। पार्टी ने इसके लिए छह मापदंड तय किए, जिनमें जमीनी उपस्थिति के साथ सोशल मीडिया और वर्चुअल प्रभाव को भी कसौटी बनाया गया है। आवेदन की प्रक्रिया 12 मई से चल रही है और अब तक बड़ी संख्या में पुराने विधायक, पूर्व विधायक और संगठन पदाधिकारी आवेदन कर चुके हैं।

उधर, वामपंथी दलों ने राहुल गांधी की यात्रा में जबरदस्त भीड़ जुटाकर अपनी ताकत दिखा दी है। माना जा रहा है कि वाम दलों का राजद से डील पक्की है। ऐसे में असली संकट कांग्रेस का ही है, जो महागठबंधन में सम्मानजनक हिस्सेदारी के लिए संघर्ष कर रही है। यह भी याद दिलाना होगा कि जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी, तब कांग्रेस को एक अतिरिक्त मंत्री पद दिलाने के लिए तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को तेजस्वी यादव के दरबार के कई चक्कर लगाने पड़े थे।

कुल मिलाकर, पटना में वोटर अधिकार यात्रा का समापन जहां कांग्रेस के लिए कार्यकर्ताओं की ऊर्जा का प्रदर्शन है, वहीं पर्दे के पीछे सीट बंटवारे की जंग असली कसौटी है। राहुल गांधी के शक्ति प्रदर्शन से कांग्रेस अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, ताकि इस बार सीटों का गणित उसके पक्ष में लिखा जा सके।