LATEST NEWS

Rahul Gandhi in Bihar : राहुल गांधी ने बिहार की 53 फीसदी आबादी को किया टारगेट, विधानसभा चुनाव में ऐसा होगा कांग्रेस की जीत का समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के फार्मूले को सेट करने के लिए राहुल गाँधी ने अभी से बड़ी तैयारी कर दी है. 17 दिनों में अपने दो बार के बिहार दौरे से उन्होंने कांग्रेस की खास रणनीति का संकेत भी दिया है.

Rahul Gandhi in Bihar
Rahul Gandhi in Bihar - फोटो : news4nation

Rahul Gandhi in Bihar : कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस वर्ष 17 दिनों के अंतराल में दो बार बिहार आए. उनका अचानक से पटना आना यूं ही नहीं है, बल्कि इस वर्ष बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की जमीन को मजबूती देने की रणनीति का अहम हिस्सा है. साथ ही राहुल की नजर बिहार के 36 फीसदी ईबीसी और दलित तथा 17 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी पर है. इन वर्गों के सहारे इस बार के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी बड़ा खेला करना चाहते हैं. 


राहुल गांधी 18 जनवरी को पटना आए तो संविधान सम्मेलन में शामिल हुए. वहीं 5 फरवरी को वे स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की 130 वीं जंयती में शामिल हुए. दोनों ही आयोजनों की पृष्ठ भूमि में जिस वर्ग को टारगेट किया गया उसमें दलित, ईबीसी और मुस्लिम प्रमुख रहे. 


कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो यह पार्टी की रणनीति का ही हिस्सा है. बिहार में जिन वर्गों के सहारे कांग्रेस खुद को मजबूत होता देख रही है उसमें इन तीन वर्गों को साधने की कोशिश है. इन तीनों वर्गों की आबादी बिहार के कुल जनसंख्या में 53 फीसदी है. यहां तक कि पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बिहार में जिन तीन सीटों पर सफलता मिली उसमें ही दो मुस्लिम और एक दलित वर्ग से सांसद बने. कांग्रेस अब इसी प्रदर्शन को इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में बिहार में दोहराने की रणनीति पर है. 


बिहार में 63 फीसदी ईबीसी और ओबीसी

बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी EBC की आबादी 36 फीसदी है. जाति गणना के आंकड़ों के अनुसार बिहार सरकार की अति पिछड़ा सूची में 25 जातियां शामिल हैं. इनमें कपरिया, कानू, कलंदर, कोछ, कुर्मी, खंगर, खटिक, वट, कादर, कोरा, कोरकू, केवर्त, खटवा, खतौरी, खेलटा, गोड़ी, गंगई, गंगोता, गंधर्व, गुलगुलिया, चांय, चपोता, चन्द्रवंशी, टिकुलहार, तेली (हिंदू व मुस्लिम) और दांगी शामिल हैं. दूसरे नंबर पर ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग की संख्या है, जो 27 फीसदी हैं. इस तरह राज्य में कुल पिछड़े 63 फीसदी हैं, लेकिन उसमें भी कैटिगराइजेशन कर दिया गया है और EBC क्लास 36 पर्सेंट के साथ सबसे बड़ा समूह है.


दलितों की आबादी 20 फीसदी

बिहार की आबादी में दलित आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है.इसमें अनुसूचित जाति यानी एससी वर्गों की आबादी 19.65 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जन जाति वर्ग में 1.06 प्रतिशत आबादी है. दलितों में दुसाध पासवान जाति की कुल आबादी 69 लाख 43 हजार है, जो राज्य की कुल आबादी का 5.31 प्रतिशत है.वहीं दलितों में यह सबसे बड़ा वर्ग है.  दलितों में दूसरे नंबर पर रविदास यानी चमार जाति की आबादी भी 5.25 फीसदी है.  वहीं मुसहर जाति की आबादी 3.08 फीसदी है. इन तीन जातियों की आबादी कुल दलित जनसंख्या में करीब 14 फीसदी है. 


जातिगत आधार वाले नेताओं की भरमार

सियासी जानकर मानते हैं कि बिहार में कांग्रेस जिस जाति वर्ग को टारगेट करने की कोशिश में है उसमें अधिकांश जातियों को कई नेता साध रहे हैं. जैसे कुर्मी जाति के प्रतिनिधित्व चेहरे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है. इसी तरह कोयरी यानी कुशवाहा वर्ग के बड़े नेताओ में उपेन्द्र कुशवाहा का नाम शामिल है. उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी कुशवाहा हैं. पासवान जाति पर मजबूत पकड केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की रही है. वहीं मुसहर जाति को केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी साधते रहे हैं. ऐसे में इन जातियों में कांग्रेस की पैठ मजबूत करना राहुल गाँधी के लिए बड़ी चुनौती होगी. 


राहुल गांधी के प्रमुख टारगेट

बिहार की राजनीति में जातियों की प्रमुखता से इनकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में जाति आधारित राजनीति का काट खोजने के लिए राहुल गांधी एक साथ कई जातियों को टारगेट कर बिहार में कांग्रेस के लिए बड़ा करना चाहते हैं. संविधान सम्मेलन हो या जगलाल चौधरी की जयंती, इसमें राहुल ने दलितों और मुसलमानों को लेकर कई प्रकार की बातें कही. सियासी जानकर मानते हैं कि इन वर्गों के बीच कांग्रेस खुद को मजबूत करना चाहती है. इससे विधानसभा चुनाव में एनडीए और राजद से अलग मतदाताओं को एक तीसरा विकल्प देने की राहुल गांधी की कोशिश रहेगी. माना जा रहा है कि यही कारण है कि राहुल ने बार बार बिहार में जातीय गणना को भी गलत बताया है जिसे राजद अपनी एक खास उपलब्धि बताती है. वहीं कई जातियों का मानना रहा है कि उनकी संख्या को कम करके बताया गया. 


Editor's Picks