Rahul Gandhi in Bihar: राहुल गांधी का नहीं होगा बिहार दौरा ! कांग्रेस का अचानक से बदला प्लान, सीएम नीतीश के गृह जिले नालंदा में भरने वाले थे हुंकार

वर्ष 2025 के पहले पांच महीनों में चार बार बिहार का दौरा कर चुके राहुल गांधी के 27 मई को नालंदा का दौरा करने की खबर थी. लेकिन अब कांग्रेस ने अचानक से राहुल के दौरे को लेकर संशय वाली स्थिति पैदा कर दी है.

Rahul Gandhi in Bihar
Rahul Gandhi in Bihar- फोटो : news4nation

Rahul Gandhi in Bihar: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बिहार दौरे पर ग्रहण लग गया है. कांग्रेस नेताओं की ओर से कहा गया था 27 मई को राहुल गांधी का बिहार दौरा होगा. बिहार दौरे पर राहुल गांधी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में हुंकार भरने वाले थे. लेकिन अब अचानक से उनके दौरे को लेकर संशय की स्थिति बन गई है. सूत्रों के अनुसार 27 मई को राहुल गांधी का बिहार दौरा रद्द हो सकता है. राहुल के बिहार दौरे को लेकर जो अटकलें लगाई जा रही थी उसमें बिहार कांग्रेस कमिटी ने अबतक नालंदा में कोई कार्यक्रम स्थल तक तय नहीं किया है. ना ही जिला प्रशासन को राहुल के नालंदा दौरे को लेकर किसी प्रकार की सूचना दी गई है. 


इसके पहले कहा गया था कि राहुल गांधी का 27 मई का दौरा खास होगा, क्योंकि वह सीएम नीतीश के गृह जिले नालंदा में अति पिछड़ा सम्मेलन करेंगे. राहुल अगर 27 मई को आते तो इस वर्ष उनका यह 5वां बिहार दौरा होता. हालांकि अब उनके नालंदा दौरे पर ग्रहण लग गया है. पार्टी सूत्रों कहना है कि इसे अगले कुछ दिनों के लिए टाला गया है. जल्द ही राहुल के नालंदा दौरे को लेकर औपचारिक ऐलान कर दिया जाएगा. इसमें नए सिरे से उनके कार्यक्रम को तय किया जाएगा. 


दलित-पिछड़ा गठजोड़ पर नजर 

दरअसल,  सालों तक बिहार की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस बीते कुछ दशकों से बिहार की राजनीति में गुम सी हो गई है. वर्ष 1990 के बाद से कांग्रेस का बिहार में ग्राफ लगातार गिरता रहा है. लेकिन इस बार के चुनाव के लिए कांग्रेस पूरी मजबूती से तैयारी में जुटी है. पिछले 5 महीने में बिहार के 4 दौरे कर चुके राहुल गांधी के केंद्र में दलित समुदाय मुख्य रूप से रहा है. वहीं इस बार नालंदा में अति पिछड़ा सम्मेलन करने की बात हुई थी.  बिहार की कुल आबादी की 36 प्रतिशत जनसंख्या ईबीसी यानी अति पिछड़ा कैटेगरी में आती है. साथ ही सबसे बड़ा ओबीसी वर्ग 63% (27% पिछड़ा वर्ग+36% अत्यंत पिछड़ा वर्ग) है. वहीं बिहार में दलित वर्ग की आबादी करीब 19 फीसदी है. राहुल की नजर इन्हीं मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की रही है. माना गया कि इसी कारण उन्होंने बिहार कांग्रेस की कमान भी दलित वर्ग से आने वाले राजेश राम को सौपी. वहीं बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15.52% है जिससे फ़िलहाल कांग्रेस दूर-दूर नजर आती है. 


कांग्रेस के सिर्फ 19 विधायक 

2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. 70 सीटों पर लड़ने के बावजूद सिर्फ 19 सीट ही जीत पाई थी. महागठबंधन में फ़िलहाल कांग्रेस के अलावा आरजेडी, विकासशील इंसान पार्टी, भाकपा माले, सीपीआई, सीपीएम भी है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश अभी से ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अपनी दावेदारी को मजबूत करना है. इसके लिए खुद राहुल गांधी ने कमान संभाल रखी है और वह बार बार बिहार के दौरे पर हैं.