बिहार में कांग्रेस का पतन: 70 साल में क्या खोया, क्या पाया, वोट और सीटों दोनों में भारी गिरावट ने बढ़ाई चुनौती
बिहार में कांग्रेस का विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन लगातार गिरता रहा है. ऐसे में राहुल गांधी पटना में हो रहे कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में में बड़ा फैसला ले सकते हैं जो पार्टी को मजबूत करेगी.

Congress Working Committee : बिहार विधानसभा चुनावों में कभी शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी का ग्राफ पिछले कुछ दशकों में लगातार गिरता गया है। एक समय था जब कांग्रेस बिहार की राजनीति की सबसे मजबूत कड़ी थी, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अब वह अपनी खोई हुई ज़मीन तलाशने में जुटी है। आजादी के बाद पहली बार बुधवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक पटना में हो रही है। बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। वर्ष 1990 के बाद से बिहार में लगातार पिछड़ती रही कांग्रेस अब खुद को नए जोश-खरोश के साथ चुनावी समर में उतारना चाहती है।
1951 से 1985 तक कांग्रेस का सुनहरा दौर
1951 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 322 सीटों पर चुनाव लड़ा और 239 सीटों पर जीत दर्ज कर 42.16% वोट हासिल किए। यह दौर कांग्रेस के दबदबे का था। 1957 और 1962 में भी पार्टी ने क्रमशः 210 और 185 सीटों पर जीत हासिल की। 1985 में कांग्रेस ने फिर से 196 सीटें जीतकर अपनी वापसी की, लेकिन इसके बाद उसका ग्राफ लगातार नीचे गिरता गया।
1990 के बाद से गिरावट शुरू
1990 में कांग्रेस को केवल 71 सीटों पर जीत मिली और 103 उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई। 1995 में यह गिरावट और तेज हो गई जब पार्टी को सिर्फ 29 सीटें मिलीं और 167 उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई। 2000 में कांग्रेस को महज 23 सीटों से संतोष करना पड़ा और 231 उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई। वहीं झारखंड अलग होने के बाद वर्ष 2005 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 51 सीटों पर उम्मीदवार उतारा और सिर्फ 9 सीट जीत पाई. 2010 में स्थिति और भी खराब हो गई जब 243 में से सिर्फ 4 सीटें जीत पाईं और 216 उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई। वहीं 2015 में पार्टी ने केवल 41 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन 27 सीटें जीत लीं, यह गठबंधन की राजनीति का असर था, न कि कांग्रेस की खुद की ताकत का क्योंकि तब लालू यादव और नीतीश कुमार के साथ मिलकर कांग्रेस उतरी थी। वहीं 2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 19 सीटों पर जीत सकी।
बिहार में दिन संवारने की कवायद
कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में इस पर महत्वपूर्ण निर्णय होगा कि कांग्रेस किन रणनीतियों के सहारे बिहार में खुद को मजबूत करे. बिहार में कांग्रेस अब एक क्षेत्रीय दल की स्थिति में आ गई है। जहां एक समय वह सैकड़ों सीटें जीतती थी, अब उसे दहाई के आंकड़े तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे पार्टी न सिर्फ संगठनात्मक स्तर पर बल्कि जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की भी आवश्यकता को महसूस कर रही है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक इस मायने में बेहद अहम मानी जा रही है.