Bihar Politics: राजद में होगी बड़ी टूट ! 25 विधायकों में से कई विधायक बदल सकते हैं पाला? तेजस्वी के सामने सबसे बड़ी टेंशन
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव का रिजल्ट सबके सामने है। राजद को मिली करारी हार ने तेजस्वी यादव को कोप भवन में पहुंचा दिया है, तेजस्वी की ओर से ना तो कोई बयान दिया जा रहा ना ही ट्विट किया जा रहा है..इसी बीच पार्टी टूटने की आशंका जताई जा रही है..
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद सियासी सरगर्मी और तेज हो गई है। एक समय में बिहार की सबसे बड़ी पार्टी होनी वाली राजद आज मात्र 25 सीटों पर सिमट गई है। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार ने राजद को एक कठिन दौर में लाकर खड़ा कर दिया है। पार्टी में ही नहीं अब परिवार में भी असंतोष देखने को मिल रहा है। बीते दिन लालू यादव को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने पार्टी और परिवार को छोड़ दिया है। रोहिणी ने तेजस्वी यादव, संजय और रमीज पर गंभीर आरोप लगाया है। एक तरफ जहां परिवार टूट रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी में भी बड़ी टूट की आशंका जताई जा रही है।
पार्टी कार्यकर्ता में भारी असंतोष
दरअसल, जीत के तमाम दावों के बीच मिली करारी हार के बाद पार्टी और कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है। तेजस्वी के सामने दल को टूटने से बचाने के लिए बड़ी चुनौती है। एक समय 15 वर्षों तक बिहार की सत्ता पर काबिज रहे लालू प्रसाद यादव ने अपने दौर में वामदल, सपा, बसपा सहित कई दलों के विधायकों को अपने पाले में लाकर राजनीतिक समीकरण बदले थे। लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद वही टूट अब राजद के भीतर दिखने लगी है।
हार के बाद बढ़ी बेचैनी
2010 के विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद राजद में बड़े स्तर पर टूट देखने को मिली थी। कई विधायक, विधान पार्षद और वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में चले गए थे। इस बार भी पार्टी को बुरी पराजय झेलनी पड़ी है, जिसके बाद अंदरूनी नाराजगी और नेतृत्व संकट की चर्चा तेज है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखना है। राजद में कई बार ऐसी टूट देखने को मिली है। जिससे इस बार पार्टी टूटने की आशंका को झुठला नहीं सकते हैं। राजद में सबसे बड़ी टूट 2014 में हुई थी जब 13 विधायक एक साथ राजद को छोड़ पाला बदल लिए थे।
13 विधायक छोड़े थे साथ
14 फरवरी 2014 को राजद के 13 विधायकों ने एक साथ पाला बदल लिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अलग समूह का दर्जा भी दे दिया था। ये सभी विधायक बाद में जदयू के साथ चले गए थे। जिन विधायकों ने पाला बदला था, उनमें शामिल थे फैयाज अहमद, रामलखन रामरमण, अख्तरूल इमान, चंद्रशेखर, डॉ. अब्दुल गफूर, ललित यादव, जितेंद्र राय, अख्तरूल इस्लाम शाहीन, दुर्गा प्रसाद सिंह, सम्राट चौधरी, जावेद अंसारी, अनिरुद्ध कुमार और राघवेंद्र प्रताप सिंह। उस समय राजद के पास कुल 22 विधायक थे, और इस टूट ने लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को बड़ा झटका दिया था।
2020 के पहले भी बड़े चेहरे छोड़ गए थे राजद
2020 विधानसभा चुनाव से पहले प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव, अशोक कुमार, चंद्रिका राय, फराज फातमी, जयवर्धन यादव और वीरेन्द्र कुमार सिंह जैसे दिग्गज नेता राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गए थे। इसके बाद राजद के पांच एमएलसी दिलीप राय, राधा चरण सेठ, संजय प्रसाद, कमरे आलम और रणविजय सिंह ने भी जदयू का दामन थाम लिया था।
सत्ता हस्तांतरण के समय भी टूट जारी रही
पिछले वर्ष बिहार में सरकार बदलने के दौरान भी राजद के पांच विधायकों ने पाला बदल कर सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ दे दिया था। इस साल भी चुनाव से पहले पार्टी के दर्जनभर से अधिक वरिष्ठ नेताओं और विधायकों ने राजद छोड़ दिया। ताजा राजनीतिक परिस्थितियों में, चुनावी हार के बाद पार्टी को एकजुट रखना और भरोसा बहाल करना तेजस्वी यादव के सामने सबसे बड़ी परीक्षा मानी जा रही है।