Bihar Vidhansabha Chunav 2025: छात्र नेता खुशबू पाठक युवाओं और महिलाओं की आवाज़ बनकर बड़हरा से चुनावी मैदान में, 70वीं बीपीएससी आंदोलन में 9 दिन जेल में बिताने का अनुभव बनेगा ताकतवर हथियार
भोजपुर जिले में प्रथम चरण के चुनाव के मद्देनज़र कई नए और पुराने चेहरे मैदान में उतरने लगे हैं। इसी कड़ी में छात्र नेता खुशबू पाठक ने भी अपने राजनीतिक कदम बढ़ाए हैं।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। भोजपुर जिले में प्रथम चरण के चुनाव के मद्देनज़र कई नए और पुराने चेहरे मैदान में उतरने लगे हैं। इसी कड़ी में छात्र नेता खुशबू पाठक ने भी अपने राजनीतिक कदम बढ़ाए हैं।
खुशबू पाठक उस युवा नेता का प्रतीक हैं जिन्होंने 70वीं बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक कांड के विरोध में न केवल सड़कों पर आंदोलन किया, बल्कि पटना के बेऊर जेल में 9 दिन बिताकर अपनी प्रतिबद्धता साबित की। अब वह बड़हरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुकी हैं और युवाओं तथा महिलाओं की आवाज़ को विधानसभा तक पहुँचाने का संकल्प लिए हैं।
उनका चुनावी एजेंडा स्पष्ट है: प्रतियोगी परीक्षाओं को समय पर कराना और उनकी पारदर्शिता सुनिश्चित करना; नौकरियों में पारदर्शिता लाना और अभ्यर्थियों को कट ऑफ मार्क्स की बुकलेट उपलब्ध कराना; और युवाओं तथा महिलाओं के हितों की रक्षा करना। खुशबू का मानना है कि सिर्फ आंदोलन करने से बदलाव संभव नहीं है। युवाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभानी होगी, तभी व्यवस्था में वास्तविक परिवर्तन संभव होगा।
बड़हरा प्रखंड के पीपरपांती गांव की रहने वाली खुशबू पाठक राजनीति को समाज सेवा का माध्यम मानती हैं। उनका उद्देश्य केवल सत्ता तक पहुँचने का नहीं, बल्कि छात्रों, युवाओं और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई को विधानसभा के मंच तक ले जाना है। उनका यह कदम इस बात का संदेश देता है कि युवा नेतृत्व अब केवल विरोध तक सीमित नहीं रहे, बल्कि सक्रिय राजनीति में उतरकर सशक्त बदलाव ला सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि खुशबू पाठक का चुनावी संघर्ष और आंदोलन का अनुभव उन्हें न केवल सियासी मजबूती देगा, बल्कि चुनावी मैदान में अन्य उम्मीदवारों के लिए चुनौती भी प्रस्तुत करेगा। आगामी विधानसभा चुनाव में उनका नाम युवाओं और महिलाओं के लिए नई उम्मीद के रूप में उभरकर सामने आ रहा है।
इस प्रकार बिहार की राजनीति में नए नेतृत्व की परिभाषा बदल रही है। खुशबू पाठक जैसे युवा और संघर्षशील नेता दिखा रहे हैं कि शिक्षा, रोजगार और महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों पर राजनीति में सक्रिय भागीदारी ही लोकतंत्र को मजबूत बना सकती है। उनका मैदान में उतरना यह संकेत है कि युवा वर्ग अब सिर्फ प्रतिकार नहीं, बल्कि परिवर्तन की धुरी बनकर राजनीति में सक्रिय हो रहा है।
रिपोर्ट- आशीष कुमार