Bihar Vidhansabha Chunav 2025: पहले चरण की 121 सीटों पर NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर, तिरहुत-मिथिलांचल से शाहाबाद तक रणभूमि तैयार, कौन किस पर भारी , जानिए
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: 6 नवंबर को पहले चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान का महाकुंभ लगेगा। यदि पिछले चुनावों के आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो इस बार भी चुनाव मैदान में मुकाबला किसी ‘राजनीतिक जंग’ से कम नहीं होगा।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के आधिकारिक ऐलान के बाद से राज्य की राजनीतिक फिजां पूरी तरह बदल गई है। निर्वाचन आयोग की घोषणा के साथ ही सियासी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। एनडीए और महागठबंधन जैसे सभी प्रमुख दल अब सीधे चुनावी मोड में आ गए हैं। दोनों गठबंधनों के नेता अब हर सीट पर अपने उम्मीदवारों की संभावनाओं का आकलन कर रहे हैं और पहले चरण के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। 6 नवंबर को पहले चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान का महाकुंभ लगेगा। यदि पिछले चुनावों के आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो इस बार भी चुनाव मैदान में मुकाबला किसी ‘राजनीतिक जंग’ से कम नहीं होगा। पिछले चुनाव 2020 में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीटों का पलड़ा लगभग बराबर था। एनडीए ने 59 सीटें हासिल की थीं, जबकि महागठबंधन ने 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बेगूसराय की मटिहानी सीट पर लोजपा ने कब्जा जमाया था, जो बाद में जेडीयू में समाहित हो गया। इस तरह 2020 के आंकड़े 60-61 के समीकरण पर टिक गए थे।
2020 के चुनाव तीन चरणों में संपन्न हुए थे, पहले चरण में 71 विधानसभा सीटें शामिल थीं। इस बार पहले चरण में 121 विधानसभा क्षेत्रों के साथ मुकाबला और भी चुनौतीपूर्ण होने वाला है। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो एनडीए और महागठबंधन के बीच पहले चरण में ही पलड़ा लगभग बराबरी का है। गौर करें तो 121 सीटों में से 70 सीटें तिरहुत और मिथिलांचल क्षेत्रों से आती हैं, जहां एनडीए का दबदबा अधिक रहा है। इस बार पहले चरण में उत्तर बिहार के तिरहुत, मिथिलांचल और कोसी क्षेत्रों की सीटें शामिल हैं, जहां बीजेपी और उसके गठबंधन की स्थिति मजबूत दिखाई देती है।
2020 के आंकड़ों के मुताबिक महागठबंधन का प्रदर्शन पटना, भोजपुर, बक्सर, सिवान, समस्तीपुर और बेगूसराय जैसे जिलों में शानदार रहा। इन छह जिलों की 50 विधानसभा सीटों में महागठबंधन ने 33 सीटों पर कब्जा जमाया। वहीं वैशाली, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा और खगड़िया में दोनों पक्षों ने बराबरी की टक्कर दी। एनडीए की बात करें तो नालंदा, दरभंगा, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर में बेहतर प्रदर्शन रहा। दरभंगा और नालंदा में कुल 16 सीटों में से 14 पर एनडीए का कब्जा रहा, लेकिन अन्य जिलों में एनडीए का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा।
2020 में शाहाबाद के कुछ जिलों में जदयू का खाता तक नहीं खुल सका। वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि इस बार भी लड़ाई कांटे की होगी। नीतीश कुमार ने कई लोकलुभावन फैसले लिए हैं, जिसका असर जरूर पड़ेगा, लेकिन बिहार की राजनीति जातीय समीकरण, सामाजिक समीकरण और उम्मीदवारों के चयन पर निर्भर करेगी। एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर की पार्टी भी कई सीटों पर खेल कर सकती हैं।नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर चर्चा होती रही है, लेकिन सरकार के खिलाफ नाराजगी इस बार ज्यादा नहीं है। यह महागठबंधन के लिए चिंता का विषय हो सकता है। लोकसभा चुनाव में शाहाबाद के इलाके में एनडीए हार गया था, जिससे महागठबंधन का मनोबल बढ़ा। इस बार चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कमान संभालेंगे, वहीं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव भी मैदान में रहेंगे। ऐसे में पहले चरण की 121 सीटों पर लड़ाई दिलचस्प और संवेदनशील होने वाली है।
दोनों पक्ष अपने दावे पेश कर चुके हैं। जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद कहते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए एकजुट है और प्रचंड बहुमत आएगा। वहीं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार की जनता इस बार सरकार बदलना चाहती है। शाहाबाद हो, सारण हो, पटना हो या तिरहुत-मिथिला, हर क्षेत्र में महागठबंधन की स्थिति मजबूत होगी।
2020 के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी के पास 32, जेडीयू के पास 23, वीआईपी ने चार सीटें जीती थीं, जिनमें से तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। राजद के खाते में 42, कांग्रेस के 8, माले के 7, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 2 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 2 सीटें थीं।
पहले चरण की सीटों की स्थिति देखें तो बीजेपी ने सहरसा, दरभंगा, हायाघाट, केवटी, जाले, औराई, बरूराज, पारू, बरौली, गोपालगंज, दरौंदा, तरैया, गोरिया कोठी, छपरा, अमनौर, हाजीपुर, लालगंज, पातेपुर, मोहद्दीनगर, रोसड़ा, बछवारा, बेगूसराय, मुंगेर, लखीसराय, बिहार शरीफ, बाढ़, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, बड़हरा और आरा में कब्जा जमाया।
जेडीयू ने आलमनगर, बिहारीगंज, सोनबरसा, कुशेश्वरस्थान, बेनीपुर, बहादुरपुर, सकरा, कुचायकोट, भोरे, वैशाली, कल्याणपुर, वारिस नगर, सराय रंजन, बेलदौर, परबत्ता, तारापुर, बरबीघा, अस्थावां, राजगीर, हिलसा, नालंदा और हरनौत सीट पर जीत हासिल की। वीआईपी ने गौड़ाबौराम, अलीनगर, बोचहां और साहिबगंज पर कब्जा जमाया।
महागठबंधन में आरजेडी ने सिंघेश्वर, हथुआ, मधेपुरा, सिमरी बख्तियारपुर, दरभंगा ग्रामीण, गायघाट, कुढ़नी, मीनापुर, कांटी, बैकुंठपुर, सिवान, रघुनाथपुर, बड़हरिया, एकमा, बनियापुर, मढ़ौरा, गड़खा, परसा, सोनपुर, महुआ, राघोपुर, महनार, चेरिया बरियारपुर, साहिबपुर कमाल, अलौली, सूर्यगढ़ा, शेखपुरा, इस्लामपुर, मोकामा, बख्तियारपुर, फतुहा, दानापुर, मनेर, मसौढ़ी, संदेश, जगदीशपुर, ब्रह्मपुर, शाहपुर, समस्तीपुर, उजियारपुर, मोरवा और हसनपुर में जीत दर्ज की। कांग्रेस, माले और कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी अपनी-अपनी सीटों पर कब्जा किया।
लोकसभा चुनावों में शाहाबाद क्षेत्र में एनडीए का खराब प्रदर्शन महागठबंधन के लिए मनोबल बढ़ा रहा है, लेकिन उपचुनाव में एनडीए ने कुछ जीतें भी दर्ज की हैं। ऐसे में पहले चरण में 121 सीटों पर पलड़ा किसका भारी रहेगा, यह देखना राजनीतिक दृष्टि से बेहद दिलचस्प होगा।
एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे की कसरत तेज है। गठबंधन के घटक दल अपने-अपने हितों की पैरवी कर रहे हैं, वहीं महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और माले के बीच सीटों पर चर्चा जोरों पर है। खासकर तिरहुत और मिथिलांचल के क्षेत्रों में गठबंधन की ताकत और चुनावी रणनीति पर गहन विचार हो रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार चुनाव केवल सीटों की लड़ाई नहीं, बल्कि जातीय समीकरण, सामाजिक समीकरण और उम्मीदवारों की लोकप्रियता का भी खेल होगा। राजनीतिक फिजां में अब तक का सबसे तेज और रोमांचक चुनावी माहौल देखने को मिल रहा है। पहले चरण के लिए सियासी घमासान तेज है और हर दल का प्रयास है कि शुरुआती ही फेज में मजबूत स्थिति बनाई जाए।