Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सत्ता के लिए मिथिलांचल की क्या है अहमियत,मोदी के मिथिला दौरे से क्या होगा बदलाव,पढ़िए
:मिथिलांचल में 243 विधानसभा सीटों में से 100 सीटें आती हैं, जो इसे सत्ता की दौड़ में निर्णायक बनाती हैं.पीएम मोदी मधुबनी में कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे, साथ ही आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान और आतंकवादियों का कड़ा संदेश भी दे सकते हैं.

Bihar Vidhansabha Chunav 2025:मिथिलांचल में बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 100 सीटें आती हैं, जो इसे सत्ता की दौड़ में निर्णायक बनाती हैं।यह क्षेत्र उत्तरी बिहार का एक बड़ा हिस्सा है, जिसमें दरभंगा, मधुबनी, और सीतामढ़ी जैसे जिले शामिल हैं, जो परंपरागत रूप से NDA के लिए मजबूत गढ़ रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA ने दरभंगा जिले की सभी नौ सीटें जीती थीं।इतनी बड़ी संख्या में सीटें होने के कारण, मिथिलांचल में जीत बिहार में सरकार बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
मिथिलांचल में ब्राह्मण, राजपूत, यादव, अति पिछड़ा वर्ग , और दलित समुदायों की महत्वपूर्ण आबादी है। ब्राह्मण और राजपूत पारंपरिक रूप से भारतीय जनता पार्टी के कोर वोटर रहे हैं, जबकि EBC और कुछ हद तक यादव मतदाता जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल के बीच बंटते हैं।1989 के राम मंदिर आंदोलन के बाद से ब्राह्मण और मुस्लिम समुदायों का ध्रुवीकरण हुआ, जिसने भाजपा को इस क्षेत्र में मजबूत किया।मिथिलांचल में मुस्लिम आबादी भी कुछ क्षेत्रों में प्रभावशाली है, जिसे राजद और अन्य विपक्षी दल अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं। इस तरह, यह क्षेत्र जातीय और धार्मिक समीकरणों का एक जटिल मिश्रण है।मिथिलांचल मैथिली भाषा और संस्कृति का केंद्र है, जो इसे बिहार के अन्य क्षेत्रों से अलग करता है। मैथिली को 2003 में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, और हाल ही में संविधान का मैथिली संस्करण जारी हुआ, जिसे अनडीए ने अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया।मिथिलांचल की सांस्कृतिक पहचान, जैसे मधुबनी पेंटिंग, मखाना उत्पादन, और सीता की जन्मभूमि (सीतामढ़ी) का धार्मिक महत्व, इसे एक विशेष स्थान देता है। यह पहचान राजनीतिक दलों को स्थानीय गौरव और भावनाओं को भुनाने का अवसर देती है।राजद ने भी मिथिलांचल विकास प्राधिकरण और अलग मिथिला राज्य की मांग उठाकर इस क्षेत्र की सांस्कृतिक भावनाओं को भुनाने की कोशिश की है।मिथिलांचल बिहार के सबसे गरीब और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में से एक है, जहां कृषि मुख्य रूप से निर्वाह पर आधारित है। बाढ़, गरीबी, और प्रवास (मजदूरों का अन्य राज्यों में पलायन) इस क्षेत्र की बड़ी समस्याएं हैं।
क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है, जिसके कारण मतदाता विकास के वादों की ओर आकर्षित होते हैं। एनडीए ने मखाना बोर्ड, एम्स दरभंगा, और पश्चिमी कोसी नहर परियोजना जैसे कदमों से इस क्षेत्र में विकास की उम्मीद जगाई है।यह आर्थिक पिछड़ापन मिथिलांचल को राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाता है, क्योंकि यहां के मतदाता आसानी से विकास के वादों से प्रभावित हो सकते हैं।मिथिलांचल को रामायण में विदेह साम्राज्य के रूप में जाना जाता है, और सीतामढ़ी को सीता की जन्मभूमि माना जाता है। यह धार्मिक महत्व भाजपा को हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ावा देने का अवसर देता है।हाल ही में, बिहार सरकार ने सीतामढ़ी के पुनौरा धाम को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 72 करोड़ रुपये की योजना शुरू की, जो एनडीए की रणनीति का हिस्सा है।जैन धर्म में भी मिथिलांचल का महत्व है, क्योंकि यह महावीर और अन्य तीर्थंकरों से जुड़ा है।
मिथिलांचल परंपरागत रूप से एनडीए, विशेष रूप से भाजपा और जदयू, का मजबूत आधार रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दरभंगा और मधुबनी जैसी सीटों पर भारी जीत हासिल की थी।2020 के विधानसभा चुनाव में भी एनडीए ने इस क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया, खासकर दरभंगा में।हालांकि, राजद और विपक्षी महागठबंधन इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे मिथिलांचल एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र बन गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज यानी 24 अप्रैल 2025 को मधुबनी में रैली और मिथिलांचल पर एनडीए का बढ़ता फोकस बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कई बदलाव ला सकता है। नीचे इसके प्रभावों का विस्तार से विश्लेषण किया गया है:
मोदी की यात्रा के दौरान कई विकास परियोजनाओं की घोषणा या उद्घाटन की संभावना है, जैसे मखाना बोर्ड, एम्स दरभंगा, पश्चिमी कोसी नहर परियोजना, और नए हवाई अड्डों का विकास।2024-25 के केंद्रीय बजट में बिहार के लिए 59,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं और 2025-26 के बजट में मखाना बोर्ड, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान, और कोसी परियोजना जैसी योजनाएं मिथिलांचल के लिए विशेष रूप से लक्षित हैं।ये परियोजनाएं मिथिलांचल के मतदाताओं में एनडीए के प्रति विश्वास बढ़ा सकती हैं, खासकर उनमें जो विकास और रोजगार के अवसरों की तलाश में हैं।मोदी और भाजपा मिथिलांचल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान, जैसे मधुबनी पेंटिंग, मैथिली भाषा, और सीता की जन्मभूमि, को प्रचारित कर रहे हैं।मोदी की रैली और एनडीए की रणनीति ब्राह्मण, राजपूत, और EBC मतदाताओं को एकजुट करने पर केंद्रित है। जदयू के नेता संजय झा, जो मिथिलांचल से हैं, इस क्षेत्र में ईबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को लामबंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।हालांकि, राजद के नेता तेजस्वी यादव ने भी मिथिलांचल में अपनी सभाएं आयोजित की हैं और मिथिला विकास प्राधिकरण जैसे वादों के जरिए यादव और मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।
मोदी की उपस्थिति एनडीए को इन जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में करने में मदद कर सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां राजद की चुनौती बढ़ रही है। राजद ने मिथिलांचल में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे मिथिला विकास प्राधिकरण का वादा और राबड़ी देवी द्वारा अलग मिथिला राज्य की मांग।2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने मिथिलांचल में कुछ सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था, जैसे दरभंगा ग्रामीण।मोदी की रैली और एनडीए की विकास योजनाएं राजद के इन प्रयासों को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हैं। मोदी का करिश्मा और उनकी रैलियों का प्रभाव मतदाताओं को एनडीए के पक्ष में ला सकता है।मिथिलांचल में युवा और मध्यम वर्ग के मतदाता विकास, रोजगार, और शिक्षा के मुद्दों पर ध्यान देते हैं। एम्स दरभंगा, नए हवाई अड्डे, और मखाना बोर्ड जैसे कदम इन मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हैं।तेजस्वी यादव ने भी युवाओं को नौकरी और विकास के वादों से लुभाने की कोशिश की है, लेकिन मोदी की रैली और केंद्रीय योजनाएं एनडीए को इस वर्ग में बढ़त दे सकती हैं।मोदी की रैली को ऐतिहासिक बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसमें केंद्रीय मंत्री और स्थानीय नेता शामिल होंगे। यह रैली एनडीए के एकजुट चेहरे को प्रदर्शित करेगी।
मिथिलांचल में जातीय समीकरण जटिल हैं। एनडीए को ब्राह्मण और राजपूत वोटों को बनाए रखने के साथ-साथ इबीसी और मुस्लिम मतदाताओं को भी लुभाना होगा, जो राजद की ओर झुक सकते हैं।अगर राजद मुस्लिम-यादव समीकरण को मजबूत करता है, तो एनडीए को कुछ सीटों पर नुकसान हो सकता है।एम मोदी के इस मधुबनी दौरे को भव्य बनाने का प्लान था. पहले खुली जीप में पीएम मोदी और सीएम नीतीश को मंच तक लाने की योजना थी. हालांकि इसे भी स्थगित कर दिया गया है. अब पीएम मोदी बिहार आएंगे रैली को संबोधित करेंगे और वापस चले जाएंगे. पीएम मोदी इस दौरान मंच से पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोश लोगों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं. साथ ही आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान और आतंकवादियों का कड़ा संदेश भी दे सकते हैं.