Bihar Vidhansabha Chunav 2025: क्या इस बार बिहार में बनेगा नया माइलस्टोन! 10वीं बार सत्ता में वापसी की जंग और ये है बदलता सियासी गणित

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत में इस बार कई दिग्गज नेता इतिहास रचने की दहलीज पर हैं।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025
बिहार में बनेगा नया माइलस्टोन!- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत में इस बार कई दिग्गज नेता इतिहास रचने की दहलीज पर हैं। इनमें सबसे चर्चित नाम जदयू के वरिष्ठ नेता और हरनौत के विधायक हरिनारायण सिंह का है, जो अगर इस बार चुनाव जीतते हैं तो बिहार विधानसभा चुनाव में 10 बार जीत दर्ज करने वाले पहले नेता बन जाएंगे।

हरिनारायण सिंह ने 1977 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था, और उसके बाद से अब तक 9 बार जीत दर्ज कर चुके हैं। वे 1977, 1983, 1990, 2000, 2005 (फरवरी), 2005 (अक्टूबर), 2010, 2015 और 2020 में जनता का भरोसा जीतते रहे हैं। फिलहाल वे हरनौत से मौजूदा विधायक हैं और सक्रिय राजनीति में भी बने हुए हैं। अगर पार्टी उन्हें दोबारा टिकट देती है और वे जीत दर्ज करते हैं, तो राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जाएगा।

सदानंद सिंह ने पहली बार 1969 में कहलगांव से चुनाव जीता, और 1972, 1977, 1980, 1985, 2000, 2005 (फरवरी), 2010 और 2015 में भी विधानसभा पहुंचे। वहीं रमई राम ने 1972 में बोचहां से पहली जीत दर्ज की और उसके बाद 1980, 1985, 1990, 1995, 2000, 2005 (फरवरी), 2005 (अक्टूबर) और 2010 में चुनाव जीता।

अब तक नौ बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड तीन नेताओं के नाम रहा है  हरिनारायण सिंह, सदानंद सिंह और रमई राम। इनमें से सदानंद सिंह और रमई राम अब इस दुनिया में नहीं हैं, जबकि हरिनारायण सिंह अब भी राजनीति में सक्रिय हैं। हालांकि उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उनके चुनाव लड़ने को लेकर कुछ संशय बना हुआ है, लेकिन उनके करीबी बताते हैं कि वे एक बार फिर मैदान में उतर सकते हैं।

इन दिग्गजों के बाद अब ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव और सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार भी रिकॉर्ड के करीब हैं। दोनों अब तक आठ-आठ बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, और अगर इस बार फिर जीत दर्ज करते हैं तो नौ बार जीतने वाले नेताओं के क्लब में शामिल हो जाएंगे। बिजेन्द्र यादव सुपौल से तो प्रेम कुमार गया से 1990 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।इसी पंक्ति में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का नाम भी आता है, जिन्होंने आठ बार विधानसभा चुनाव जीता और अब लोकसभा में सक्रिय हैं। वहीं सुरेंद्र प्रसाद यादव भी आठ बार विधायक रह चुके हैं, हालांकि फिलहाल वे सांसद हैं और विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।

नंदकिशोर यादव (भाजपा), अब्दुल बारी सिद्दिकी (राजद) और श्रवण कुमार (जदयू)  ये तीनों नेता सात-सात बार विधानसभा पहुंच चुके हैं, और अगर इस बार चुनाव लड़ते हैं तो आठवीं बार जीत दर्ज कर सकते हैं।

इसके अलावा विजय कुमार चौधरी (जदयू) छह बार और कांग्रेस के विजय शंकर दूबे व अवधेश कुमार सिंह भी छह बार विधायक रह चुके हैं।

बिहार की राजनीति में ऐसे नेता लोकतंत्र की उस परंपरा के प्रतीक हैं, जो लगातार जनता का विश्वास जीतते आए हैं। आगामी चुनाव में ये देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा नेता इतिहास के पन्नों में अपना नाम “दसवीं जीत के रिकॉर्ड” के साथ दर्ज कराता है।