PATNA : बिहार में 20 अगस्त से भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू है। इस सर्वे प्रक्रिया के तहत बिहार के 534 अंचलो के 45000 राजस्व गांवो का सर्वे किया जाना है। सरकार का कहना है कि जमीन सर्वे हो जाने से लोगो की जमीन सम्बन्धी परेशानी दूर हो जायेगी। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति इससे उलट है। सर्वे प्रक्रिया में कागजात जुटाने के लिए लोगों के पसीने छूट रहे है। इसी कड़ी कई लोगों द्वारा बनवाए गए वंशावली में भारी गड़बड़ूी देखने को मिली हैं। ऐसा देखा जा रहा है कि वंशावली से बेटियों के नाम अंकित नहीं है। यह इसलिए किया जा रहा है कि पैतृक संपति में वो अपना अधिकार नहीं जमा सके। यह काम कोई दुसरा नहीं कर रहा है बल्कि उनके परिवार के सदस्य ही कर रहे हैं। खगड़िया में भूमि सर्वेक्षण के दौरान रैयतो द्वारा जमा किए गए कागजातों में ज्यादातर ऐसा देखा जा रहा है कि लोग संपति के लालच में जमीन के वंशावली में अपने बेटियों का नाम नहीं रख रहे हैं।
कई लोगों ने नहीं दिया बहन बेटियों के नाम
जिले में पहले चरण में गोगरी, अलौली, बेलदौर तथा चौथम अंचल में भूमि सर्वेक्षण का काम चल रहा है। पिछले महीने से खगड़िया, मानसी तथा परबत्ता अंचल में सर्वे आरंभ हुआ है। पहले चरण में एक लाख से अधिक लोगों ने जमीन सर्वे के लिए प्रपत्र ” दो ” दिया था, जबकि दूसरे चरण में 18 हजार से अधिक लोगों ने जमीन के ब्योरे के साथ यह फॉर्म जमा कराया है। दोनों चरणों में पुस्तैनी जमीन के लिए बड़ी संख्या में जमीन मालिकों ने स्व-घोषणा पत्र के साथ वंशावली दिया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि 90 प्रतिशत से अधिक लोगों के वंशावली में बहन-बेटी का नाम नहीं दिया। बताया जाता है कि पहले चरण में मुठ्ठी भर भू-धारियों के वंशावली में बहन, बुआ, बेटी आदि का दिया गया है।
जमीन का खाता खुलने का डर
इस बावत खगड़िया प्रखंड के लिए कासिमपुर पंचायत में बनाए गए शिविर प्रभारी सह सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी सुबीर कुमार ने बताया कि सात हजार से अधिक जमीन मालिकों ने यहां जमीन सर्वे के लिए ऑन लाइन एवं ऑफ लाइन आवेदन दिये हैं। जबकि मानसी में बनाए गए शिविर के प्रभारी सह सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी प्रकाश कुमार की माने तो 52 सौ लोगों ने स्व-घोषणा पत्र जमा किये हैं। इन दोनों शिविरों ( मानसी तथा कासिमपुर ) में बड़ी संख्या में बाप-दादाओं के नाम वाली जमीन के सर्वे के लिए लोगों ने वंशावली तो जमा कराए हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि दूसरे चरण में बेटियों का नाम वंशावली से गायब करने का सिलसिला जारी है। बताया जाता है कि मात्र 1-2 फीसदी लोगों के ही वंशावली में बेटियों का नाम अंकित है। इस मामले को लेकर कानून के जानकारों का कहना है कि कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार पैतृक संपत्ति में बेटों के साथ-साथ बेटी का हिस्सा बराबरी का होता है। वंशावली में अगर लोग बेटियों का नाम देंगे तो उनके नाम से भी जमीन का खाता खुलेगा। पुश्तैनी संपति में बेटियों का हिस्सा गायब करने के उद्देश्य से लोग वंशावली में उनका नाम छुपा रहे हैं । यह बिल्कुल अनुचित है।
कहते हैं अधिकारी…
इस संदर्भ में सर्वेक्षण में जुटे अधिकारीयों का कहना है कि रैयतो द्वारा स्व-घोषणा पत्र के साथ दिये गए वंशावली को पंचायत के आमसभा में रखा जाएगा। अगर वंशावली में किसी प्रकार की त्रुटि है या परिवार के किसी सदस्य का नाम उसमें शामिल नहीं किया गया है तो वहां लोग आपत्ति कर सकते हैं। जांच के बाद नियम के मुताबिक उस पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
रिपोर्ट- रितिक कुमार