बिहार के भभुआ के घने जंगलों में हाल ही में कैमरों में बाघों की तस्वीरें कैद हुई हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने यहां टाइगर रिजर्व बनाने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है। यह खबर वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इससे न केवल बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। बिहार का एकमात्र टाइगर रिजर्व, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर), फिलहाल 54 बाघों का घर है। पिछले एक दशक में यहां बाघों की संख्या में सात गुना बढ़ोतरी हुई है, जो वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता है। वीटीआर की वर्तमान क्षमता 45 बाघों की है, लेकिन वर्तमान में यहां 54 बाघ निवास कर रहे हैं, जो क्षेत्र की क्षमता से अधिक है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार का निर्णय भभुआ में नया टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने का है, ताकि बाघों के संरक्षण के साथ-साथ उनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सके।
भभुआ में टाइगर रिजर्व के अलावा, राज्य के अन्य हिस्सों में भी वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है। अररिया के रानीगंज में एक नया जू (चिड़ियाघर) बनाने की योजना है, जो राज्य के पूर्वी हिस्से में वन्यजीव पर्यटन और संरक्षण को बढ़ावा देगा। इस जू में विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों को रखा जाएगा, जिससे स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकेगा। इसके अलावा, अररिया में टर्टल रिसर्च एंड मॉनीटरिंग स्टेशन खोला जाएगा, जो कछुओं के संरक्षण पर केंद्रित होगा।
इसके साथ ही, पश्चिम चंपारण में घड़ियाल इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा। यह सेंटर घड़ियालों के प्रजनन और संरक्षण के लिए समर्पित होगा। बिहार के जलाशयों में घड़ियालों की संख्या घट रही है, और इस इंक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से उनकी संख्या को फिर से बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। बक्सर जिले के नावानगर में एक पुनर्वास केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जहां वन्यजीवों के संरक्षण और पुनर्वास की विशेष व्यवस्था की जाएगी।
सरकार ने राज्य के हर जिले में एक पार्क बनाने की भी घोषणा की है, जहां बच्चों के खेलने के लिए विशेष इंतजाम होंगे। इसके साथ ही, स्थानीय लोगों के लिए वॉकिंग ट्रैक और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इन पार्कों का उद्देश्य न केवल लोगों के मनोरंजन के लिए है, बल्कि इसके माध्यम से राज्य के शहरी क्षेत्रों में हरित स्थानों को बढ़ावा देना है। इन सभी परियोजनाओं का मकसद न केवल वन्यजीवों और पर्यावरण के संरक्षण को मजबूत करना है, बल्कि राज्य में पर्यटन और स्थानीय रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देना है। भभुआ के जंगलों में टाइगर रिजर्व का निर्माण और अन्य परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन से बिहार वन्यजीव संरक्षण में एक अग्रणी राज्य बन सकता है