शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान भक्तजन माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा करते हैं और कलश स्थापना के साथ इस शुभ पर्व की शुरुआत होती है। नवरात्रि में कलश स्थापना का अत्यधिक महत्व है, जिसे सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। कलश स्थापना एक पवित्र अनुष्ठान है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके सही तरीके से संपन्न होने से न केवल घर में सुख-शांति का वास होता है, बल्कि नकारात्मक शक्तियों से भी सुरक्षा मिलती है। इसी संदर्भ में ज्योतिषाचार्यों और वास्तु विशेषज्ञों ने कलश स्थापना के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जो प्रत्येक परिवार के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कलश स्थापना के लिए उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस दिशा को भगवान शिव और माता पार्वती का स्थान माना जाता है। वास्तु शास्त्र के ज्ञाता बताते हैं कि इस दिशा में कलश स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण शुद्ध और शांतिमय बनता है। यह दिशा न केवल समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी उत्तम मानी जाती है। ईशान कोण का महत्व विशेष रूप से इस कारण होता है कि इसे सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित यह दिशा घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि लाने में सहायक होती है।
कलश स्थापना में विभिन्न सामग्रियों का विशेष महत्व होता है। इसमें कलश को जल, गंगाजल, रोली, चावल, सिक्के, मौली (धागा), सुपारी और आम या अशोक के पत्तों से सजाया जाता है। साथ ही, कलश के ऊपर नारियल रखा जाता है जो जीवन, समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है। कलश को सजाने के बाद उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है, जो शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
कलश स्थापना से पहले घर की सफाई और शुद्धिकरण करना अत्यंत आवश्यक है। यह सुनिश्चित करें कि घर में नकारात्मक ऊर्जा का कोई स्थान न हो, इसके लिए दीपक जलाकर वातावरण को पवित्र करें। इसके अलावा, कलश की प्रतिदिन पूजा करना चाहिए और मंत्रों का जाप करना चाहिए, जिससे घर में आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का निर्धारण ज्योतिषाचार्य या पंडित से पूछकर किया जा सकता है। शुभ मुहूर्त में की गई कलश स्थापना का प्रभाव अत्यधिक लाभकारी होता है और परिवार पर देवी दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है।
कलश स्थापना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और सुख-शांति लाने का माध्यम भी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा में कलश स्थापित करने से जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति प्राप्त होती है। शारदीय नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर, इन बातों का ध्यान रखकर कलश स्थापना करने से माता दुर्गा की कृपा से जीवन में हर प्रकार की नकारात्मकता का नाश होता है और खुशहाली का आगमन होता है