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Jharkhand assembly election 2024: सियासी मुकाबले की तैयारी में बीजेपी और कांग्रेस, बोकारो में दिलचस्प होने वाला मुकाबला, समझें पूरी बात

Jharkhand assembly election 2024: सियासी मुकाबले की तैयारी में बीजेपी और कांग्रेस, बोकारो में दिलचस्प होने वाला मुकाबला, समझें पूरी बात

Jharkhand assembly election 2024: झारखंड की बोकारो विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव काफी रोमांचक और दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ जहां भाजपा के मौजूदा विधायक विरंची नारायण हैट्रिक लगाने के लिए तैयार हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के मैदान में उतरने की संभावनाओं से सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।

राजेश ठाकुर की उम्मीदवारी से बदलेगा समीकरण

अगस्त 2024 तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे राजेश ठाकुर का बोकारो से चुनाव लड़ने की चर्चा ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। उनके समर्थक और क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ता चाहते हैं कि ठाकुर इस बार बोकारो से चुनाव लड़ें। उनके मैदान में उतरने से भाजपा के लिए एक कड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है, क्योंकि ठाकुर की मीडिया में अच्छी पकड़ है और वे इस माध्यम से अपने पक्ष में माहौल बनाने में सफल हो सकते हैं। इसके साथ ही, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद ठाकुर के पास अब पूरा ध्यान अपने विधानसभा क्षेत्र पर लगाने का अवसर मिल गया है।

कांग्रेस में कई उम्मीदवारों की दावेदारी

कांग्रेस की ओर से बोकारो सीट पर चुनाव लड़ने के लिए 24 नेताओं ने अपनी दावेदारी जताई है। हालांकि इसमें राजेश ठाकुर का नाम शामिल नहीं है। लेकिन 2019 में लगभग 99,000 वोट प्राप्त करने वाली श्वेता सिंह और जिला अध्यक्ष उमेश प्रसाद गुप्ता इस सूची में प्रमुख दावेदार हैं। इसके अलावा, पूर्व जिला अध्यक्ष मंजूर अंसारी, 20 सूत्री अध्यक्ष देबाशीष मंडल, और बेरमो विधायक अनूप सिंह के छोटे भाई गौरव सिंह भी दावेदारों में शामिल हैं।

बीजेपी के भीतर बिरंची नारायण को मिल रही चुनौती

भाजपा विधायक विरंची नारायण 2024 में अपनी तीसरी जीत के लिए मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के अंदर ही उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है। पार्टी के कुछ नेता खुद भी चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं, जिससे पार्टी में आंतरिक विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है। हाल ही में, रायशुमारी की प्रक्रिया के दौरान भाजपा नेता भैया आरएन ओझा और विधायक समर्थकों के बीच झड़प हो गई थी, जिससे पार्टी के भीतर तनाव का माहौल बन गया है। ओझा ने आरोप लगाया कि उनका नाम मतदाता सूची से जानबूझकर हटा दिया गया, क्योंकि उन्होंने मौजूदा विधायक का समर्थन नहीं किया था।

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