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Jharkhand Chunaav: झारखंड के विधानसभा गोड्डा सीट पर बीजेपी और राजद के बीच देखने को मिल सकती है कांटे की टक्कर, जानें क्या कहते हैं समीकरण?

Jharkhand Chunaav: झारखंड के विधानसभा गोड्डा सीट पर बीजेपी और राजद के बीच देखने को मिल सकती है कांटे की टक्कर, जानें क्या कहते हैं समीकरण?

Jharkhand assembly election 2024: झारखंड में दिसंबर तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता तेज हो गई है, खासकर गोड्डा विधानसभा क्षेत्र में। इस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच हमेशा से कांटे की टक्कर रही है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के लिए निशिकांत दुबे की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि वे गोड्डा संसदीय सीट से लगातार चौथी बार निर्वाचित हुए हैं और विधानसभा चुनाव में भी अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।

बीजेपी में टिकट वितरण और चुनावी रणनीति में निशिकांत दुबे की भूमिका

निशिकांत दुबे बीजेपी में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं, और उनके द्वारा टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद की जा रही है। दुबे लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ स्थानीय नेताओं और विधायकों से असंतुष्ट थे, इसलिए इस बार वे नए चेहरे को टिकट दिलाने का प्रयास कर सकते हैं, खासकर वर्तमान विधायक अमित मंडल की जगह।

गोड्डा विधानसभा का जातीय समीकरण

गोड्डा विधानसभा क्षेत्र बिहार की सीमा से सटा हुआ है, और इसमें गोड्डा, पथरगामा, और बसंत राय प्रखंड शामिल हैं। यहां आदिवासी, मुस्लिम, यादव, ब्राह्मण और अन्य पिछड़ी जातियों की महत्वपूर्ण जनसंख्या है। आदिवासी और मुस्लिम आबादी 15-15% है, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती है।

2014 से बीजेपी का दबदबा

वर्ष 2014 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है, और वर्तमान विधायक अमित मंडल पिछले आठ वर्षों से गोड्डा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने गोड्डा में कांग्रेस को 17 हजार से अधिक वोटों से हराया, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का आत्मविश्वास मजबूत है।

विकास कार्य और चुनावी समीकरण

गोड्डा में 2022 से लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ है, जिसे भाजपा की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इसके अलावा, अडानी पावर प्लांट जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स भी इस क्षेत्र में स्थापित किए गए हैं, जिससे बीजेपी की पकड़ और मजबूत हो गई है। जनता के बीच भाजपा शासनकाल के दौरान हुई इन विकास परियोजनाओं को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण है। बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर चुनावी रणनीति तैयार कर रही है, जिसमें रायशुमारी और टिकट वितरण के मद्देनजर चर्चाएं जारी हैं।

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