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खर्राटे का मतलब चैन की नींद नहीं होती, ये है एक बीमारी; जानें इससे जिंदगी में क्या-क्या परेशानियां आती हैं

खर्राटे का मतलब चैन की नींद नहीं होती, ये है एक बीमारी; जानें इससे जिंदगी में क्या-क्या परेशानियां आती हैं

अगर नींद में कोई खर्राटे लेता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह चैन की नींद सो रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक, खर्राटे वाली नींद सुकून की नहीं है। इस सिचुएशन में सांस की नली संकरी हो जाती है और हवा का फ्लो रुकने से नींद बार-बार टूटती है। इसे स्लीप एप्निया कहते हैं। यह एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है। इसे इग्नोर करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, पैरालिसिस के चांस बढ़ जाते हैं। देश की 10% आबादी स्लीप एप्निया से पीड़ित है। हालांकि, हर खर्राटे वाले व्यक्ति को जरूरी नहीं कि स्लीप एप्निया ही हो। स्लीप एप्निया के प्रमुख लक्षण हैं- सोते समय सांस का बार-बार रुक जाना, ऑक्सीजन का ड्रॉप होना।


नींद को चार स्टेज में डिवाइड किया जाता है। जिन्हें स्लीप डिसऑर्डर होता है, ऐसे लोग दूसरी स्टेज तक ही पहुंच पाते हैं। कौन सी है वो चार स्टेज है जानिए, जब आप सोना शुरू करते हैं, तो आप पहली स्टेज में होते हैं। यह आमतौर पर कुछ मिनट तक रहता है। इस दौरान दिल की धड़कन और सांस धीमी हो जाती है। मांसपेशियां रिलेक्स्ड होने लगती हैं। मस्तिष्क आराम और ध्यान से जुड़ी होती है और हल्की नींद या गहरे विश्राम के दौरान बनती है।


यह नींद की दूसरी स्टेज है। ये हल्की नींद की अवधि होती है। इससे पहले कि आप गहरी नींद में प्रवेश करें, यह 25 मिनट तक रहता है। दिल की धड़कन और धीमी हो जाती है, आंख का कोई मूवमेंट नहीं होता। शरीर का तापमान गिरने लगता है। ब्रेन वेव्स ऊपर और नीचे फैलती हैं। इससे स्लीप स्पिंडल बनता है। आप गहरी नींद में होते हैं। इस दौरान दिल की धड़कन और सांस सबसे धीमी गति से होती है। शरीर पूरी तरह से आराम में होता है। डेल्टा मस्तिष्क तरंगें मौजूद हो जाती हैं। ये तरंगें मन पर शांत प्रभाव डालती हैं। यह सबसे गहरी नींद होती है। इस दौरान जब आप सो जाते हैं, तेजी से आंखों का मूवमेंट होता है। सांस और हार्ट स्पीड बढ़ जाती है। ब्रेन की भी स्पीड बढ़ जाती है। हम बहुत गहरी नींद में होते हैं। इसमें सपने आते हैं और अपनी यादों को सहेजने लगते हैं।


स्लीपिंग डिसऑर्डर के मुख्य कारण देर से सोना होता है। देर रात तक डिनर लेना, टीवी, मोबाइल देखते रहना होता है। नींद को लेकर हाइजीन नहीं होना। इन वजहों से स्लीप एप्निया, इंसोमनिया जैसी नींद की बीमारियां हो सकती हैं। इसके कई प्रकार होते हैं। वहीं, डॉक्टर का कहना है कि सोने से 3 घंटे पहले डिनर कर लेना चाहिए। 

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