Jharkhand IAS: झारखंड भ्रष्टाचार केस मामले में निलंबित IAS अधिकारी विनय चौबे को नहीं मिली राहत!जमानत याचिका खारिज

Jharkhand IAS: हजारीबाग की एसीबी अदालत ने निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे की जमानत याचिका खारिज कर दी। उन पर 2.75 एकड़ सरकारी जमीन हेराफेरी और 38 करोड़ के शराब घोटाले का आरोप है।

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निलंबित IAS अधिकारी विनय चौबे का मामला- फोटो : social media

Jharkhand IAS: झारखंड के हजारीबाग जिले की एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) अदालत ने निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे की जमानत याचिका खारिज कर दी है। मंगलवार को हुई सुनवाई में अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। विनय चौबे के वकील शंकर बनर्जी ने कहा कि वे इस आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। इससे पहले, अदालत ने शुक्रवार को बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।

सरकारी जमीन का रूपांतरण विवाद

विनय चौबे पर आरोप है कि हजारीबाग में उपायुक्त रहते उन्होंने 2.75 एकड़ खासमहल (सरकारी भूमि) का अवैध रूपांतरण किया और उसे निजी व्यक्तियों को आवंटित कर दिया।यही विवाद इस केस की नींव बना। बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि जांच एजेंसी एसीबी ने निर्धारित समय के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। बावजूद इसके अदालत ने उनकी जमानत मंज़ूर करने से इंकार कर दिया।

शराब घोटाले से भी जुड़े आरोप

विनय चौबे का नाम झारखंड के चर्चित शराब घोटाले में भी आया है।एसीबी ने उन्हें 20 मई 2025 को गिरफ्तार किया था।आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी और अपराधियों से मिलीभगत कर राज्य के खजाने को 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।झारखंड सरकार ने इसी घोटाले के चलते उन्हें निलंबित कर दिया।हालांकि, 19 अगस्त 2025 को रांची की एक अदालत ने उन्हें शराब घोटाले में जमानत दे दी थी।

स्वास्थ्य और वर्तमान स्थिति 

जानकारी के अनुसार, विनय चौबे का फिलहाल इलाज रांची के रिम्स (RIMS) अस्पताल में चल रहा है। उनकी तबीयत को लेकर अदालत को भी अपडेट दिया गया था।उनके वकील का कहना है कि जमानत याचिका खारिज होने के बावजूद वे कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे और अब अगला कदम हाईकोर्ट में अपील करना होगा।

आरोपों का दायरा और असर 

विनय चौबे पर लगे आरोप केवल एक भ्रष्टाचार मामले तक सीमित नहीं हैं।भूमि रूपांतरण विवाद (खासमहल भूमि का अवैध आवंटन)।शराब बिक्री घोटाला (38 करोड़ रुपये का कथित नुकसान)। इन आरोपों ने न केवल उनके करियर को प्रभावित किया है, बल्कि यह मामला झारखंड प्रशासन और राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गया है।