खाकी की 'चूहा' चाल....पुलिस की नाक के नीचे 200 किलो गांजा डकार गए चूहे, तस्कर आजाद!

मामला बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले इंद्रजीत राय उर्फ अनुरजीत राय से जुड़ा है, जिसे पुलिस ने गांजे की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था.चूहे गांजा खा गए, पुलिस की इस दलील ने तस्कर को कराया रिहा।

खाकी की 'चूहा' चाल....पुलिस की नाक के नीचे 200 किलो गांजा डक
खाकी की 'चूहा' चाल....पुलिस की नाक के नीचे 200 किलो गांजा डकार गए चूहे, तस्कर आजाद!- फोटो : NEWS 4 NATION AI

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाला एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। ओरमांझी थाना पुलिस ने साल 2022 में करीब 1 करोड़ रुपये मूल्य का 200 किलो गांजा जब्त किया था, जिसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जाना था। हालांकि, जब सुनवाई का समय आया, तो पुलिस ने दावा किया कि मालखाने में रखे इस भारी-भरकम नशे की खेप को चूहों ने खा लिया है। पुलिस की इस दलील ने न केवल अदालत को हैरान कर दिया, बल्कि एनडीपीएस (NDPS) केस को भी कमजोर कर दिया।


सबूत के अभाव में तस्कर हुआ बरी

इस मामले में पुलिस ने बिहार के वैशाली निवासी इंद्रजीत राय को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी सफेद बोलेरो में गांजा ले जा रहा था। जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की गई और मुकदमा चला, लेकिन ट्रायल के दौरान पुलिस अदालत में न तो जब्त गांजा पेश कर सकी और न ही कोई ठोस साक्ष्य दे पाई। गवाहों के बयानों में विरोधाभास और मुख्य सबूत के नष्ट होने के कारण अदालत ने आरोपी इंद्रजीत राय को बाइज्जत बरी कर दिया।

कोर्ट ने पुलिस की दलील को माना गंभीर लापरवाही

अदालत ने पुलिस की 'चूहों वाली दलील' को स्वीकार करने के बजाय इसे साक्ष्यों की सुरक्षा में एक बड़ी लापरवाही करार दिया। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि जब्त किए गए मादक पदार्थों को सुरक्षित रखना पुलिस की कानूनी जिम्मेदारी है। साल 2024 में इस संबंध में पुलिस द्वारा दर्ज कराए गए सनहा (शिकायत) के बावजूद, अदालत ने माना कि मुख्य सबूत के गायब होने से पूरी जांच प्रक्रिया की विश्वसनीयता खत्म हो गई है, जिसका सीधा लाभ आरोपी को मिला।

सिस्टम की कार्यशैली पर खड़े हुए तीखे सवाल

इस घटना ने झारखंड पुलिस और मालखानों की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस की निगरानी में रखा 200 किलो गांजा चूहे कैसे खा सकते हैं और क्या थानों में करोड़ों के माल की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। यह मामला कानून व्यवस्था के लिए एक सबक की तरह उभरा है, जहाँ सिस्टम की ढिलाई की वजह से एक गंभीर अपराध का आरोपी सजा पाने से बच निकला।