Parenting Tips: 16 की उम्र में सिखाएं ये ज़रूरी बातें, बेटी बनेगी कॉन्फिडेंट, सेफ और स्मार्ट

बेटी सिर्फ परिवार की शान नहीं होती समाज की पहचान भी होती है। उसकी परवरिश सिर्फ लाड़-प्यार से नहीं, समझदारी से होनी चाहिए। हम आपको बता रहे हैं वो 5 बातें जो हर पैरेंट को अपनी 15-16 साल की बेटी को जरूर सिखानी चाहिए.

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Parenting Tips : भारत में बेटियां किसी भी घर की रौनक होती हैं, उन्हें परिवार का गौरव माना जाता है। ऐसे में उनका लालन-पालन बहुत लाड़-प्यार से किया जाता है। माता-पिता अपनी बेटी को पढ़ाना चाहते हैं और उसे आत्मनिर्भर भी बनाना चाहते हैं, इसके लिए वे बेटी को घर से बाहर भेजते हैं। हालांकि, आज के दौर में माता-पिता के लिए लड़कियों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। इस दौरान बढ़ती उम्र के साथ बेटियों के जीवन में शारीरिक और मानसिक बदलाव भी आते हैं। यही वह समय होता है जब माता-पिता का सहयोग और शिक्षा बेटी में आत्मविश्वास, नवाचार और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की नींव रखने में मदद करती है।


बेटी की परवरिश में सबसे ज्यादा ध्यान देने की उम्र 16 साल होती है। इस उम्र में आपकी 16 साल की बेटी बचपन से निकलकर जवानी में प्रवेश कर रही होती है। ऐसे में माता-पिता की भूमिका और जिम्मेदारी बढ़ जाती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं जो हर माता-पिता को अपनी 15-16 साल की बेटी को सिखानी चाहिए ताकि उसका भविष्य बेहतर हो और जीवन खुशहाल हो सके।


स्वयं की देखभाल :

याद रखें कि बच्चा हमेशा माता-पिता के साथ नहीं रह सकता। अगर आप चाहते हैं कि आपकी बेटी के सपनों को पंख लगें और वह उड़ना सीखे तो उसे खुद का ख्याल रखना सिखाएं। अपनी बेटी को लाड़-प्यार दें लेकिन उसे समाज में रहने का तरीका भी बताएं। उसे खुद का ख्याल रखना, अपनी सेहत, जीवनशैली, खरीदारी का तरीका, पैसे को सावधानी से खर्च करना आदि सिखाएं ताकि वह भविष्य के लिए तैयार रहे। चाहे पढ़ाई या नौकरी के लिए घर से बाहर जाना हो या शादी के बाद ससुराल की जिम्मेदारी उठानी हो, वह हर परिस्थिति के लिए तैयार रहेगी।

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आत्मनिर्भरता :

बेटी को आत्मनिर्भर बनाएं। उसे सिखाएं कि जीवन जीने का तरीका क्या है। इस दौर में हर लड़की को आत्मनिर्भर होना चाहिए। बेटी को इसके लिए तैयार करना माता-पिता की जिम्मेदारी है। उसे छोटे-मोटे काम खुद करने के लिए प्रेरित करने से लेकर अकेले स्कूल जाने के लिए सावधानी से तैयार करना, उसे तैयार करना। हर परिस्थिति का डटकर सामना करने के साथ-साथ उसे असफलता का सामना करना भी सिखाएं।


सोशल मीडिया की हकीकत :

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया का प्रभाव बहुत गहरा है। लेकिन यह जरूरी है कि वह समझे कि जो कुछ दिख रहा है, वह सच नहीं है। सोशल मीडिया की तारीफों से प्रभावित न हों, अपने अंदर की अच्छाइयों पर ध्यान दें। अपनी बेटी को सोशल मीडिया के इस्तेमाल से लेकर उस पर कितना भरोसा करना है, हर चीज की जानकारी दें।


खुला संवाद :

अगर आप अपनी बेटी को बेहतर राह दिखाना चाहते हैं या उसे गलत राह पर जाने से रोकना चाहते हैं, तो उसके साथ खुलकर संवाद करें। उसे भरोसा दिलाएं कि वह आपसे हर बात पर बात कर सकती है और आप इसके लिए उसकी आलोचना नहीं करेंगे। जब बेटी खुलकर अपने विचार और सवाल माता-पिता के सामने रखती है, तो माता-पिता भी उसका सही मार्गदर्शन करते हैं। अगर वह कोई गलती करती है, तो वह बिना किसी झिझक के माता-पिता के सामने उसे स्वीकार कर पाती है और माता-पिता उसकी समस्याओं को सुलझाने में उसकी मदद कर पाते हैं।


'ना' कहना सिखाएं :

हर लड़की को यह समझने की जरूरत है कि अपनी असहमति जाहिर करना गलत नहीं है। चाहे दोस्ती हो, रिश्ता हो या सामाजिक दबाव हो, जहां भी जरूरत हो, "नहीं" कहने का साहस होना चाहिए।

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