Assam success story news: भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम के दक्षिण में स्थित श्रीभूमि, जिसे पहले करीमगंज कहा जाता था, में बेबी सरकार की कहानी शुरू होती है। शादी के बाद गर्भवती हुईं बेबी को ससुराल वालों ने अल्टीमेटम दिया कि अगर बेटा पैदा नहीं हुआ, तो उन्हें घर छोड़ना होगा। उनके चार देवरों की पहले से बेटियां थीं, और इस दबाव में उनके पति ने भी कोई विरोध नहीं किया।कुछ समय बाद, बेबी ने बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम रखा गया दीक्षा। बेटी के जन्म के साथ ही बेबी को ससुराल से निकाल दिया गया। बेबी ने खुद को और नवजात बेटी को सहारा देने के लिए संघर्ष शुरू किया।
ल्प और कठिनाइयों का सामना
बेबी अपने पिता के घर चली गईं, जहां सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने दीक्षा की परवरिश की। उनके पति ने कभी संपर्क नहीं किया, और 2011 में उनका निधन हो गया। 2022 में उनकी सास भी गुजर गईं।बेबी की कठिनाइयां यहीं खत्म नहीं हुईं। उनकी बड़ी बहन बिजोया के पति के निधन के बाद, बेबी को अपनी बहन के घर जाकर रहना पड़ा। बिजोया, जो LIC में काम करती थीं, डिप्रेशन से जूझ रही थीं। ऐसे में, दोनों परिवारों की जिम्मेदारी बेबी ने संभाली।
बेटी के सपनों को पंख देने का सफर
बेबी ने दीक्षा की पढ़ाई के लिए कई छोटे-मोटे काम किए। साल 2019 में, जब दीक्षा ने 10वीं की परीक्षा पास की, तो मां-बेटी एक छोटे किराए के घर में शिफ्ट हो गईं। बेबी की खुद की पढ़ाई अधूरी रह गई थी, लेकिन उन्होंने दीक्षा को शिक्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।गुवाहाटी के एक कॉलेज से बॉटनी में बीएससी की डिग्री पूरी करने के बाद, दीक्षा ने असम सिविल सर्विस (ACS) की तैयारी शुरू की। उनकी मौसी बिजोया ने भी साथ दिया और दीक्षा की पढ़ाई के लिए 2 लाख रुपये का बैंक लोन लिया।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
दीक्षा ने पढ़ाई के साथ-साथ 'बडिंग एस्पिरेंट्स' नाम का एक YouTube चैनल शुरू किया, जिससे मिलने वाली कमाई ने उनकी शिक्षा का खर्चा पूरा किया। 2023 में दीक्षा ने असम सिविल सर्विस परीक्षा पास कर मेरिट लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया।
मां के सपनों को दीक्षा ने किया पूरा
बेबी सरकार, जिन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना किया, अब अपनी बेटी की सफलता से गौरवान्वित हैं। दीक्षा का मानना है कि उनकी कामयाबी उनकी मां और मौसी के बलिदानों का नतीजा है। ACS की ट्रेनिंग के बाद, दीक्षा को सरकारी आवास मिलेगा, जहां वह अपनी मां के साथ रहेंगी। बेबी ने साबित कर दिया कि दृढ़ निश्चय और मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी कहानी हर मां और बेटी के लिए प्रेरणा है।