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Manmohan Singh Death: जब राजीव गांधी ने मनमोहन सिंह को कह दिया जोकर, क्यों दिया था ऐसा बयान, क्या थी मुख्य वजह? जानें सबकुछ

डॉ. सिंह की प्रस्तुति से राजीव गांधी नाराज हो गए और उन्होंने बैठक के दौरान सबके सामने उनकी आलोचना की।

Manmohan Singh Death: जब राजीव गांधी ने मनमोहन सिंह को कह दिया जोकर, क्यों दिया था ऐसा बयान, क्या थी मुख्य वजह? जानें सबकुछ
राजीव सिंह और मनमोहन का किस्सा- फोटो : social media

Manmohan Singh Death: भारत के 13वें प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने एम्स में आखिरी सांस ली। उनकी मौत के बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है। हालांकि, इस बीच उनके बारे में कई सारे किस्से कहानियां भी सामने निकलकर आ रही है, जो वाकई में दिलचस्प है। ऐसा ही एक किस्सा राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल से जुड़ा हुआ है, जब उन्होंने मनमोहन सिंह को जोकर कहा था। ये बात है साल 1985 से 1990 की पंचवर्षीय योजना से जुड़ा एक महत्वपूर्ण घटना से। उस वक्त योजना आयोग की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह ने एक प्रेजेंटेशन दिया। उनके प्रेजेंटेशन का मुख्य फोकस ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन था।

प्रधानमंत्री राजीव गांधी का ध्यान शहरी विकास पर था। वह बड़े हाईवे, आधुनिक मॉल और अस्पतालों जैसी परियोजनाओं को प्राथमिकता देना चाहते थे। डॉ. सिंह की प्रस्तुति से राजीव गांधी नाराज हो गए और उन्होंने बैठक के दौरान सबके सामने उनकी आलोचना की। प्रेजेंटेशन के अगले दिन जब पत्रकारों ने राजीव गांधी से योजना आयोग के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने इसे "जोकरों का समूह" करार दिया। यह टिप्पणी योजना आयोग के सदस्यों के लिए एक बड़ा झटका थी।

डॉ. मनमोहन सिंह का इस्तीफे का मन

उस समय के योजना आयोग के सदस्य और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव सी.जी. सोमैया ने अपनी आत्मकथा ‘द ऑनेस्ट ऑलवेज स्टैंड अलोन’ में इस घटना का जिक्र किया है। सोमैया के अनुसार, आलोचना के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने इस्तीफा देने का मन बना लिया था। उन्होंने मनमोहन सिंह को समझाया कि देशहित में यह फैसला जल्दबाजी होगा। डॉ. सिंह ने अपमान को सहन किया और अपने पद पर बने रहे। हालांकि, राजीव गांधी और डॉ. सिंह के बीच मतभेद बने रहे। जुलाई 1987 में, डॉ. मनमोहन सिंह को योजना आयोग से हटा दिया गया।

सोनिया गांधी का निर्णय: इतिहास का मोड़

दिलचस्प बात यह है कि दो दशक बाद, जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य उम्मीदवार की तलाश कर रही थीं, तो उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह को चुना। यह निर्णय न केवल राजनीति का एक बड़ा मोड़ था, बल्कि इसने डॉ. सिंह को भारत के सबसे सफल प्रधानमंत्रियों में से एक के रूप में स्थापित किया।

एक दृष्टिकोण दो व्यक्तित्व

यह घटना न केवल उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि नेतृत्व और दृष्टिकोण में मतभेद होने के बावजूद, एक नेता का मूल्य समय के साथ पहचाना जाता है।

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