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राजनीतिक दलों के फ्री स्कीम वाले वादों पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर माँगा जवाब

राजनीतिक दलों के फ्री स्कीम वाले वादों पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर माँगा जवाब

N4N DESK : केंद्र और विधानसभा के चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की ओर से कई तरह के वादें किये जाते हैं। कल ही झारखण्ड में राज्य सरकार की ओर से महिलाओं के खाते में हर महीने 2500 रुपए देने का ऐलान किया गया है। कहीं महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये तक के कैश की स्कीम का ऐलान हुआ है तो वहीं टोल टैक्स में छूट जैसे फैसले भी हुए हैं। 

ऐसे मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है। जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब माँगा है। याचिका में कहा गया है की चुनाव से ठीक पहले मुफ्त वाली स्कीमों के ऐलान को रिश्वत घोषित करना चाहिए। यह वोटर को एक तरह से रिश्वत का झांसा देना है। याचिका के माध्यम से ऐसे घोषणाओं पर रोक लगाने की मांग की गयी है। कहा गया है की ऐसी रोक सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों पर लागू होनी चाहिए।

बताते चलें की भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बेंगलुरु निवासी शशांक जे. श्रीधारा की याचिका पर भारत सरकार तथा निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है। 

याचिका वकील श्रीनिवास द्वारा दायर किया गया है। जिसमें मुफ्त रेवड़ी बाँटने के घोषणा पर रोक लगाने की मांग की गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के बेलगाम वादे सरकारी राजकोष पर बड़ा और बेहिसाबी वित्तीय बोझ डालते हैं। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है कि चुनाव पूर्व किए वादे पूरे किए जाएं।

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