MP NEWS: मध्य प्रदेश के धार जिले में बसा आदिवासी बहुल पडियाल गांव अपनी अनूठी पहचान रखता है। इस गांव को 'अधिकारियों का गांव' के नाम से जाना जाता है। यहां के लगभग हर घर से कोई न कोई व्यक्ति सिविल सेवा, इंजीनियरिंग या मेडिकल क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहा है। 5,000 से अधिक आबादी वाले मालवा क्षेत्र के इस आदिवासी बहुल गांव में 100 से ज्यादा लोग भारत के अलग-अलग हिस्सों में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर के तौर पर काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक, दो साल पहले तक इस गांव में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की संख्या 70 थी, जो 2024 में 100 को पार कर जाएगी।
शिक्षा पर जोर
गांव की लगभग 90% आबादी भील जनजाति की है। इस जनजाति बहुल गांव में शिक्षा के प्रति गजब का उत्साह देखने को मिलता है। मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, गांव की साक्षरता दर 90% से अधिक है। यहां के स्कूली बच्चे छोटी उम्र से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर देते हैं। NEET और JEE Mains जैसी कठिन परीक्षाओं में भी गांव के बच्चे लगातार सफलता हासिल कर रहे हैं।
सफलता का कारण
गांव के युवाओं की सफलता का प्रमुख कारण यहां का शिक्षा प्रेम है। गांव में रिटायर्ड अधिकारी स्मार्ट क्लासेज चलाकर बच्चों को प्रेरित करते हैं। इन अधिकारियों ने अपने अनुभवों से बच्चों को बताया है कि कैसे वे सफलता के शिखर पर पहुंचे। इसके अलावा, गांव में शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षक बच्चों को कड़ी मेहनत करने और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करते हैं।
अधिकारी परिवारों का प्रभाव
गांव में अधिकारी परिवारों की संख्या काफी अधिक है। इन परिवारों के बच्चे बचपन से ही प्रशासनिक सेवा के बारे में सुनते आते हैं। यही कारण है कि वे भी इसी क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखते हैं। साथ ही गांव का समाज भी शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां के लोग शिक्षित होने को गौरव की बात मानते हैं। वे अपने बच्चों की शिक्षा पर खूब खर्च करते हैं।