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Maharashtra Election : प्रकाश झा की फिल्म शूल में विधायक बननेवाले सियाजी शिंदे अब असल राजनीति में उतरे, महाराष्ट्र चुनाव से पहले एनसीपी का थामा दामन

राजनीति में उतरे सियाजी शिंदे

N4N DESK : पानी से बिजली निकल जाएगी तो उसकी ताकत खत्म हो जाएगी...। फिल्म शूल में विधायक बच्चा यादव ने यहीं प्रश्न विधानसभा में उठाया था। वर्ष 1999 में बनी शूल फिल्म में विधायक बच्चू यादव उर्फ भैयाजी का किरदार निभाने वाले सियाजी शिंदे फिल्म रिलीज होने के 25 साल के बाद रीयल लाइफ में राजनीति में आ गए है। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अजित पवार की एनसीपी में शामिल हो गए हैं। शुक्रवार 11 अक्टूबर को उन्होंने एनसीपी की सदस्यता ग्रहण की है। साल 1999 में ईश्वर श्रीनिवास के निर्देशन में बनी फिल्म शूल में मनोज बाजपेयी अभिनेता थे। वहीं दुसरी ओर सियाजी शिंदे विलेन के किरदार में थे। 

शूल फिल्म रिलीज होने के बाद मनोज बाजपेयी से ज्यादा चर्चा सियाजी शिंदे की हुई थी। इस फिल्म में सियाजी शिंदे का डायलॉग आज भी दर्शकों के जबान पर है। इस फिल्म में उनका सबसे मशहूर डायलॉग  था कि अगर पानी से बिजली निकाल लोगे तो पानी में क्या बचेगा । फिल्म में यह डायलॉग उन्होंने विधानसभा में दिया था। इस फिल्म का एक गाना जिसमें बॉलीवुड की हसीन अदाकारा शिल्पा शेट्टी ने  उस गाने में ऐसा किया था कि पूरे यूपी बिहार के लोग उस समय उनके डांस के दिवानें हो गए थे। उस गाना का नाम था मैं आयी हूं यूपी बिहार लूटने। 

एनसीपी  की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सियाजी शिंदे ने कहा कि राजनीति में आने के बारे में कभी नहीं सोचा था। मैं जब मंत्रालय जाता था तो ज्यादातर दादा (अजित पवार) से ही मिलता था। जब भी मुझे अपने वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान बाधाओं का सामना करना पड़ा। दादा ने मेरी मदद की। कई समस्याओं का समाधान सिस्टम से बाहर रहकर नहीं किया जा सकता। इसलिए मैंने एक राजनीतिक पार्टी में शामिल होने के बारे में सोचा, तो फिर यह दादा की पार्टी क्यों नहीं होती। उन्होंने कहा कि मैंने कई फिल्मों में राजनेताओं की भूमिका निभाई है। मेरे द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि बाहर रहने के बजाय सिस्टम में आना और कुछ अच्छा काम करना बेहतर होगा।

इसलिए मैंने राजनीति में आने का फैसला किया। राजनीति में आने के पीछे मेरा कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है। मुझे अजित पवार की एनसीपी की नीतियां पसंद आईं। इसलिए मैं उनके साथ जुड़ा हूं। लाडली बहना योजना को ही देख लो। इसने गरीब महिलाओं को पर्याप्त सहायता प्रदान की है। सयाजी शिंदने ने मराठी नाटकों के साथ-साथ मराठी, हिंदी, तेलुगू, तमिल, कन्नड़, मलयालम, अंग्रेजी, गुजराती फिल्मों में भी काम किया है। सयाजी शिंदे का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। 

ऋतिक की रिपोर्ट

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