बुखार का इंजेक्शन लगाते ही बच्ची की हो गई मौत, एक सप्ताह पहले ही एसडीएम की कार्रवाई के बाद छिप-छिपकर अस्पताल में हो रहा था मरीजों का इलाज

BAGHA  :  लौकरिया थाना के हरनाटांड़ में एक मासूम की इलाज के दौरान मौत हो गई। जिस पर आक्रोशित परिजनों ने डॉक्टर पर गलत इलाज का आरोप लगा दिया। इसके बाद चिकित्सक द्वारा आपसी समझौते के बाद मृत बच्ची की शव घर ले जाकर परिजनों ने अंतिम संस्कार किया। सूचना के अनुसार जीतपुर निवासी हिरालाल धांगड़ अपने एक वर्षीय पुत्री को मामूली स्वास्थ्य खराब होने के बाद हरनाटांड़ स्थित एक निजी चिकित्सक के पास इलाज कराने ले गया था। चिकित्सक द्वारा बच्ची को गलत इंजेक्शन लगाया गया। इसके बाद बच्चे के शरीर में अचानक ऐंठन होने के साथ मुंह से झाग निकलने लगा। परिजन कुछ समझ पाते इसके पहले ही बच्ची की मौत हो गई। 

यह देख परिजनों ने आपा खोते हुए डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया। बच्ची की मां रोते बिलखते हुए बताया कि पिछले दिनों बुखार लगने पर होदा क्लिनिक में लेकर आई थी जिस पर डॉक्टर ने दवाई आदि देने के बाद पुनः गुरुवार को चेकअप के लिए बुलाया था। आज आई तो डॉक्टर के किसी सहकर्मी ने चेक करके बताया कि बुखार नहीं है। मगर एक सुई लगानी पड़ेगी। यह कह कर उसने बच्ची को इंजेक्शन दिया जिसके बाद बच्ची के मुंह से झाग निकला और वह मर गई।

विदित हो कि बीते हफ्ते बगहा एसडीएम दीपक कुमार मिश्रा के द्वारा छापेमारी की गई थी तथा संदिग्ध पाए जाने के बाद मुकदमा करने का भी आदेश दिया था। स्थानीय युवक दीपक कुमार ने बताया कि छापेमारी के बाद से क्लिनिक का जगह बदलकर पूर्व की भाँति ही मरीजों की इलाज चल रहा थी। इसी दौरान गुरुवार के सुबह डॉक्टर के सहकर्मी के द्वारा इलाज के दौरान बच्ची को इंजेक्शन लगाई गई। जिससे बच्चे की जान चली गई।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रोते बिलखते परिजनों  व डॉक्टर के बीच कुछ बातचीत हुई।  परिजनों को डॉक्टर द्वारा कुछ अच्छी रकम दी गई, जिसके बाद  परिजनों ने किसी कानूनी कार्रवाई से इनकार करते हुए डॉक्टर पर आरोप लगाने से मना कर दिया। तथा मृत बच्ची को लेकर अपने घर चले गए। 

वही इस संबंध में स्थानीय लौकरिया थानाध्यक्ष राजकुमार ने  कहा कि पीएचसी प्रभारी या परिवारजनों की तरफ से अगर आवेदन मिलेगा तो उस झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वही इस संबंध में स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ राजेश सिंह नीरज ने बताया कि इस तरह की कोई जानकारी अभी मिली है। अगर यह सत्य है तो अत्यंत निंदनीय है। थाना में आवेदन दे देने के पश्चात भी डॉक्टर का हौसला इतना बुलंद कैसे है कि धड़ल्ले से क्लिनिक चला रहा है। अगर परिजनों से किसी प्रकार की सूचना मिलती है तो पुनः थाना में आवेदन दिया जाएगा।