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बेतिया के नंदनगढ़ पहुंची साउथ कोरिया की 27 सदस्यीय टीम, बौद्ध स्तूप का किया भ्रमण, कहा बार-बार आने का करता है मन

बेतिया के नंदनगढ़ पहुंची साउथ कोरिया की 27 सदस्यीय टीम, बौद्ध स्तूप का किया भ्रमण, कहा बार-बार आने का करता है मन

BETTIAH : पश्चिम चम्पारण के ऐतिहासिक जगह लौरिया के नन्दनगढ का भ्रमण करने साउथ कोरिया से 27 सदस्यीय टीम पहुंची। यहाँ का ऐतिहासिक टीला देख कोरियाई पर्यटक काफी प्रसन्न दिखे। कहा की विश्व में भगवान बुद्ध का इतना बड़ा टीला कहीं नहीं है। इस संबंध में इनके गाईड सत्येन्द्र सिंह ने बताया की 27 सदस्यीय टीम साउथ कोरिया से भारत भ्रमण पर आया है। यहाँ लौरिया के इस ऐतिहासिक नन्दनगढ टीला देख काफी खुश है। इनका कहना है की इतना बड़ा स्तूप कहीं नहीं है। 

वही साउथ कोरिया से आये किम सु सिओग ने कहा की भगवान बौद्ध स्तूप दर्शनीय है। हमेशा आने का मन करता है। इंडिया की जनता बहुत अच्छी है। सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं। यहां भगवान बुद्ध के कई दर्शनीय स्थल और स्तूप है, जिसमें लौरिया का नंदनगढ़ विश्व का सबसे बड़ा धर्म स्तूप है। उक्त बातें शनिवार को शाम में नंदनगढ़ पहुंचे साउथ कोरिया देश के बौधिष्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कीम गु सियोग ने कही। 

उन्होंने कहा कि इस नंदनगढ़ बौद्ध स्तूप पर बार बार बार आने का मन करता है। इसी कारण मैं हर साल अपने देश के बौधिष्टों को नंदनगढ़ ले कर आता हूं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यह स्थल और स्तूप हमारे प्रिय भगवान बुद्ध का स्थल है और यहां आकर हम सब अपने को भाग्यशाली मानते हैं। इधर दूसरे पर्यटक ली संगवुक ने कहा कि यह जगह बहुत अच्छा है, लेकिन सबसे अधिक दुःख की बात यह है कि यहां पर पर्यटकों के रहने और खाने की कोई सुविधा नहीं है। होटल नहीं होने से दुःख है। यदि कोई होटल रहता तो लौरिया में एक दिन और रहकर भगवान बुद्ध का दर्शन करते। 

द्विभाषीय सत्येंद्र सिंह ने बताया कि इन पर्यटकों का यहाँ रुकने का मन था। लेकिन रहने की सुविधा नहीं होने के कारण सभी अब बेतिया न जाकर कुशीनगर जाएंगे। इसके बाद सभी पर्यटकों ने नंदनगढ़ की परिक्रमा की और बुद्ध का घंटों पूजा पाठ की। अन्य पर्यटकों में सोंग युंग जू, ली इंसुक, कीम जोएक, योन सुन पिल, रीयू सुंजा, कीम म्युन सुंज सहित 27 पर्यटक पहुंचे थे। वही भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री की सराहना करते हुये कहा की पूरे विश्व मे शांति स्थापित करने के बाबर द्वारा अयोध्या में तोडे गये राम मंदिर की पुन: स्थापना कर एक बार फिर से उन्हे उनके घर मे रामलला का गृह प्रवेश कराये। बहुत ही सराहनीय काम किये है। इससे आज भारत के साथ साथ पूरा विश्व राममय हो गया है।

बेतिया से आशीष की रिपोर्ट

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