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कॉलेजियम की 70 सिफारिशें केंद्र के पास लंबित,सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा जजों की नियुक्तियों में देरी का मुद्दा फिर उठाया

कॉलेजियम की 70 सिफारिशें केंद्र के पास लंबित,सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा जजों की नियुक्तियों में देरी का मुद्दा फिर उठाया

दिल्ली- जस्टिस संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया आर वेंकटरमणी से  चिंता साझा करते हुए मंगलवार को कहा कि 11 नवंबर, 2022 से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सत्तर कॉलेजियम सिफारिशें केंद्र सरकार के पास लंबित हैं. उन्होंने कहा कि  इनमें से सात नाम ऐसे हैं, जिन्हें कॉलेजियम ने दोहराया है. जस्टिस किशन कौल ने कहा कि चार दिन पहले तक 80 फाइलें लंबित थीं और उसके बाद केंद्र सरकार ने दस फाइलों को मंजूरी दे दी.

सुप्रीम कोर्ट ने  न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि कॉलेजियम की 70 सिफारिशें अब भी सरकार के पास अटकी हुई हैं. अदालत ने अटॉर्नी जनरल से इस मुद्दे को हल करने के लिए उनके कार्यालय का उपयोग करने को कहा. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ द्वारा मामला उठाए जाने के बाद अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए लंबित सिफारिशों पर निर्देश लेने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने वेंकटरमणी से कहा, ‘आज मैं चुप हूं, क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने बहुत कम समय मांगा है, अगली बार मैं चुप नहीं रहूंगा. इन मुद्दों का समाधान देखने के लिए अपने अच्छे कार्यालय का उपयोग करें. पीठ ने कहा, पिछले सप्ताह तक 80 सिफारिशें लंबित थीं, जब 10 नामों को मंजूरी दी गई. यह आंकड़ा 70 है, जिनमें से 26 सिफारिशें न्यायाधीशों के स्थानांतरण की हैं, सात सिफारिशें दोहराई गई हैं और एक मामला संवेदनशील उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का है. ये सभी सिफारिशें पिछले साल नवंबर से लंबित हैंय जस्टिस कौल ने कहा कि लंबित सिफारिशों पर कोई ठोस कार्यवाही सात महीनों से नहीं हुई है.

शीर्ष अदालत बेंगलुरू के एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2021 के फैसले में अदालत द्वारा निर्धारित समय-सीमा का कथित तौर पर पालन नहीं करने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी.

सरकार की ओर से भारत के अटॉर्नी-जनरल आर वेंकटरमणी ने अदालत को आश्वासन दिया था कि न्यायिक नियुक्तियों के लिए समय-सीमा का पालन किया जाएगा और लंबित कॉलेजियम सिफारिशों को जल्द ही मंजूरी दी जाएगी. इस आश्वासन के बावजूद केंद्र ने अभी तक वकील सौरभ किरपाल, सोमशेखर सुंदरेसन और जॉन सत्यन की नियुक्ति को अधिसूचित नहीं किया है, जबकि अदालत ने सरकार की आपत्तियों को खारिज करते हुए उनके नाम दोहराए थे.

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