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पटना में 81वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक, डिप्टी सीएम बोले- बैंकों का काम सिर्फ ऋण देना ही नहीं, बल्कि लाभार्थियों का मार्गदर्शन करना भी है

पटना में 81वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक, डिप्टी सीएम बोले- बैंकों का काम सिर्फ ऋण देना ही नहीं, बल्कि लाभार्थियों का मार्गदर्शन करना भी है

पटना. होटल मौर्या में 81वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक का आयोजन हुआ। इसका शुभारंभ बिहार के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर अमृत महोत्सव मना रहे हैं। सरकार गरीबों और पिछड़े समाज के लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को संचालित किया है, जिसका राज्य की समृद्धि में बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंकों की बड़ी भूमिका है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में देश के लोगों का जन-धन योजना के तहत बैंक खाता खोलना और डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खाता में राशि का हस्तांतरण युगांतकारी शुरुआत है, जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं। सरकार चाहती है कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थी को सीधे प्राप्त हो, इसलिए इस दिशा में बैंकों को काफी तत्परता और संवेदनशीलता के साथ काम करने की जरूरत है।


उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैंक के प्रतिनिधियों को स्पष्ट तौर कहा है कि पंचायत स्तर पर पंचायत सरकार भवनों में बैंकों की शाखाएं खोली जाएं, ताकि लाभार्थियों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ एवं अन्य बैंकिंग सुविधाएं आसानी से प्राप्त हो सकें। इसके अलावा राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में बैंक के प्रतिनिधियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिहार की राशि बिहार के विकास में ही खर्च हों।

उन्होंने कहा कि चाहे कृषि का क्षेत्र हो अथवा उद्योग का क्षेत्र, बिजनेस सेक्टर हो अथवा अन्य क्षेत्र सभी बैंक निर्धारित लक्ष्यों को समय पर पूरा करें। बैंकों का दायित्व सिर्फ ऋण देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें लाभार्थियों का मार्गदर्शन भी करना है। हमारा प्रयास लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में बिहार के बैंकों को वार्षिक साख योजना (एसीपी) के लक्ष्य 161500 करोड़ रुपए के विरुद्ध 160837 करोड़ रुपए का साख बैंकों द्वारा वितरित किया जा चुका है। यह उपलब्धि 99.59 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान वार्षिक साख योजना का आकार 110000 करोड़ रुपए से बढ़कर दो लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो चुका है। 

साथ ही राज्य का साख-जमा अनुपात (सी.डी. रेशियो) मार्च 2022 के अंत में 52.96 प्रतिशत रहा है। साख जमा अनुपात में पिछले वर्षों में लगातार वृद्धि हुई है। यह अब तक का अधिकतम साख-जमा अनुपात है, जो सराहनीय उपलब्धि है, परंतु इस दिशा में बैंकों को और मेहनत करने की जरूरत है। सभी बैंक प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना, अटल पेंशन योजना, जीवन ज्योति सुरक्षा बीमा योजना, रोजगार सृजन योजना, आवास ऋण योजना सहित अन्य विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं के लक्ष्य के अनुरूप बेहतर कार्य करें।

उन्होंने कहा कि कृषि पशुपालन और मत्स्य पालन का क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धूरी है। कोरोना की वैश्विक चुनौती के समय भी इस सेक्टर में हुए काम के बदौलत ही हमने विकास दर को 2.5 प्रतिशत तक रखने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने कहा कि जीविका और शहरी आजीविका मिशन के तहत संचालित स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने तथा उनके बैंक लिंकेज के कार्य को तत्परता से पूर्ण करें। बिहार की अर्थव्यवस्था की उत्कृष्टता बैंकों के सकारात्मक और संवेदनशील प्रयास से ही संभव है। बैंक अपने इन सामाजिक दायित्वों को प्रतिबद्धता के साथ पूरा करें।

इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि जीविका समूह की दीदियों ने बेहतर काम किया है। 291000 इंदिरा आवासों को पूर्ण करने की दिशा में बैंक वांछित लाभार्थियों को ऋण की सुविधा मुहैया कराएं। साथ ही उन्होंने आर-सेटी के तहत प्रशिक्षित लाभार्थियों को बैंक के माध्यम से सहयोग की कार्य योजना पर काम करने की आवश्यकता बतायी, ताकि तकनीकी रूप से प्रशिक्षित लोगों को रोजगार के साधन प्राप्त हो सकें।

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