एक दिन पहले 2 हजार रुपए से करवाया मीटर रिचार्ज, सुबह होते ही बैलेंस साफ ही नहीं बल्कि माइनस आठ हजार, बिजली कंपनियों सर्वर से परेशान उपभोक्ता

PATNA : बिहार में पुराने परंपरागत बिजली मीटर को हटाकर नए प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने लोगों को यह सब्जबाग दिखाए कि इससे उपभोक्ता अपने हिसाब से बिजली का उपयोग कर सकेंगे और उन्हें राहत मिलेगी। मतलब जितने रुपए की बिजली की जरुरत हो, उतना का ही रिचार्ज करवाएं। शुरूआत में यह व्यवस्था काफी अच्छी लग रही थी। लेकिन अब इस व्यवस्था की खामियां लगातार सामने आने लगी है। भले ही बिहार का स्मार्ट प्रीपेड मीटर देश में नजीर के रूप में लिया जा रहा। बाहर के राज्यों से बिजली कंपनी की टीम इस मॉडल के अध्ययन को आ रही। बिजली कंपनी का राजस्व भी बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर लोगों की नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। इसका एक बड़ा कारण है बेहिसाब पैसों की कटौती।

एक उपभोक्ता की दास्तां

कहानी यह है कि रात को दो हजार रुपये से मीटर को रिचार्ज किया और जब सुबह बैलेंस चेक किया तो वह माइनस आठ हजार रुपये दिख रहा था। महीने के आखिरी हफ्ते में आए इस बिल को घंटे भर में जमा नहीं कर पाने की स्थिति में बिजली बंद। नोटिस भी नहीं था। खास हैं तो कुछ पता भी चलेगा और अगर आम उपभोक्ता हैं तो कुछ मालूम ही नहीं होने वाला। 

लूटे जा रहे बिजली उपभोक्ता

हाल के एक दो महीने में समस्या यह आई कि मोटी राशि से किया गया रिचार्ज भी सुबह तक शून्य हो जाता है। एक उपभोक्ता की यह शिकायत थी कि जून में जब उनकी रीडिंग माइनस 5000 पर अचानक आ गई तो उन्होंने सात हजार रुपये से रिचार्ज किया।

Nsmch
NIHER

सब कुछ नो ड्यूज में था। पर जुलाई में 20 हजार रुपये के रिचार्ज की नौबत आ गई। इतना करने पर भी 25 जुलाई की सुबह बैलेंस में माइनस आठ हजार रुपये आ गया। उपभोक्ता के लिए यह बाल नोचने वाली स्थिति थी। बिना किसी नोटिस के बिजली भी काट दी गई।

कंपनी का अजीब तर्क 

जब काफी मशक्कत के बाद यह पता किया तो मालूम हुआ कि स्मार्ट मीटर का संचालन कर रही कंपनी के सर्वर में गड़बड़ी आ गई थी।इस वजह से अप्रैल के पहले हफ्ते से 17 दिनों तक रीडिंग नहीं हुई। उस अवधि की राशि औसत में जोड़ उपभोक्ताओं को सूचना दिए बगैर काट ली गई। उपभोक्ता को आखिर कैसे पता चलेगा कि कंपनी का उसपर बकाया है, क्योंकि उसका बकाया रिचार्ज के समय शून्य पर आ गया था।

पहले से बढ़ गया बिजली खर्च

सच्चाई यह है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिहार के बिजली उपभोक्ताओं के प्रति यूनिट दर में अचानक वृद्धि हो गई है। पहले एक सामान्य परिवार का औसतन दो से तीन सौ रुपए प्रतिदिन बिजली पर खर्च होता था। वहीं यह अब हजारों रुपए में पहुंच गया है। 

अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं

स्मार्ट प्रीपेड मीटर की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि पैसा कहां जा रहा है, इस बात की जानकारी नहीं मिलतीहै। उपभोक्ताओं का यह अधिकार है कि अगर वह किसी सर्विस के लिए राशि खर्च करता है तो वह किस मद में गया, वह उसे पता चले। पर बिजली कंपनी के ऐप से यह पता ही नहीं चलता कि राशि किस तरह से खर्च हुई। उपभोक्ता मन मसोस कर रह जाते हैं। उनकी शिकायत को किस स्तर पर सुना जाएगा, यह भी ठीक से पता नहीं चलता। विभाग के अधिकारी भी इस मामले में पल्ला झाड़ लेते हैं।

कंपनी का कहना है कि उसके पास इस तरह की व्यवस्था नहीं कि वह इसे बता सके। मतलब उपभोक्ता इस बात से अंजान रहे कि उसका पैसा कहां गया? पूरे राज्य से आ रहीं शिकायतें स्मार्ट प्रीपेड में उटपटांग तरीके से राशि कटौती की शिकायतें पूरे राज्य से आ रहीं। भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा का कहना है कि औसतन 25-30 शिकायतें उन्हें नियमित रूप से मिल रहीं।