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इस शहर में बना है डेढ़ करोड़ की लागत से दुर्गा पूजा पंडाल, मदुरई के प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर की तर्ज पर बने पंडाल में आदि शिव योगी की प्रतिमा बना आकर्षण का केंद्र

इस शहर में बना है डेढ़ करोड़ की लागत से दुर्गा पूजा पंडाल, मदुरई के प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर  की तर्ज पर बने पंडाल में आदि शिव योगी की प्रतिमा बना आकर्षण का केंद्र

मुंगेर के कल्याणपुर में 1.5 करोड़ की लागत से साउथ के मदुरई के प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर के तर्ज पर 100 फीट ऊंची मंदिर की तरह बनाए भव्य पंडाल बनवाया गया है . साथ ही 75 फीट ऊंची आदि शिवयोगी की प्रतिमा भी बनाई गई है दो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.बिहार में नवरात्रि के दौरान एक से बढ़कर एक थीम पर मां के पंडाल बनाए जाते हैं.  मुंगेर जिले का बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत कल्याणपुर बड़ी दुर्गा मंदिर अपने यूनिक पंडालों के लिए मशहूर है. यूथ क्लब पूजा समिति इस साल दुर्गा पूजा के लिए स्वागत द्वार के रूप में मदुरई के मीनाक्षी मंदिर की प्रतिकृति बनाया है. 100फुट ऊंचा और 110  फुट चौड़ा स्वागत मेहराब मीनाक्षी मंदिर की समृद्ध वास्तुकला का प्रदर्शन कर रहा है . पश्चिम बंगाल ,झारखंड के करीब 50 से अधिक कारीगर पिछले एक महीने से स्वागत मेहराब पर काम कर रहे थे .

 मीनाक्षी मंदिर में विभिन्न देवी देवताओं के प्रतिमा बनाया गया है उसी की तर्ज पर इस पंडाल के आगे बने 10 भागों में2 फीट से 6 फीट तक बनाए गए विष्णु राम रावण सहित विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा 100 देवी देवताओं की कागज की लुगदी से तैयार प्रतिमा चिपकाया है. साथ ही कोयंबतूर में जग्गू वासुदेव द्वारा योग को बढ़ावा देने के लिए 2017 में 112 फीट आदि शिव योगी की प्रतिमा स्थापित की गई थी .उसी की तर्ज पर यह थर्मोकोल से आदि शिव योगी की 70 फीट की प्रतिमा लगाई गई है जो आकर्षण बना है.गांव के प्रसिद्ध चिकित्सक नितीश दुबे ने बताया की प्रत्येक वर्ष भव्य पंडाल एवं कई कार्यक्रम यहां करवाए जाते हैं . 2021 में जयपुर का हवामहल, 2022 में मुंबई के ताज होटल तो इस वर्ष मीनाक्षी मंदिर की तर्ज पर भव्य पंडाल बनवाया गया है। जिस पर करें 1. 5 करोड़ की लागत आई हैं.

 हिंदू मान्‍यता के अनुसार देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था. महिषासुर नाम का एक राक्षस था. उसने तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था. महिषासुर की भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे कई वरदान दिए. अमरत्व की जगह उन्हें यह वरदान दिया कि उसकी मृत्यु स्त्री के हाथों होगी. ब्रह्मा जी से यह वरदान पाकर महिषासुर काफी प्रसन्न हो गया. सोचने लगा की किसी भी स्त्री में इतनी ताकत नहीं है, जो उसके प्राण ले सकें.महिषासुर ने अपनी असुर सेना के साथ देवों के विरूद्ध युद्ध छेड़ दिया. जिसमें देवों की हार हो गई.सभी देवगण मदद के लिए त्रिदेव यानी भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु के पास पहुंचें. तीनों देवताओं ने अपनी शक्ति से देवी दुर्गा का अवतार हुआ. जिसके बाद दुर्गा ने राक्षस महिषासुर से युद्ध कर उसका वध किया। इस तरह से महिषासुर एक स्त्री के हाथों मारा गया.  इसीलिए बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक के रूप में नवदुर्गा की पूजा की जाती है. 

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्‍हीं नौ महीनों में देवी मां अपने मायके आती हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार मां दुर्गा का भगवान शिव से विवाह होने के बाद जब वह अपने मायके लौटी थीं. इस आगमन के लिए खास तैयारी की गई. ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है.

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