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पटना विवि में "साहिर लुधियानवी और समकालीन शायर" दो दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन, वक्ताओं ने साहिर की शायरी को बताया बराबरी के कथ्य का नमूना

पटना विवि में "साहिर लुधियानवी और समकालीन शायर" दो दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन, वक्ताओं ने साहिर की शायरी को बताया बराबरी के कथ्य का नमूना

PATNA: कविता केवल सामाजिक परिस्थितियों का प्रतिबिम्ब नहीं है, बल्कि सरल हृदय व्यक्ति के दुःख-दर्द को समझना और प्रतिबिंबित करना ही कविता का नाम है। साहिर की शायरी में सरल-हृदय लोगों की पीड़ा के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। साहिर एक ऐसे शायर हैं जिन्होंने अपनी शायरी में सरल कथन को जगह दी है। साहिर की शायरी बनावटीपन से मुक्त है, लेकिन उनकी शायरी में अनुकरण, मूर्तिकला, नक्काशी और चित्रकला के बेहतरीन नमूने मौजूद हैं। साहिर ने प्रेम गीतों को कड़वाहट का आख्यान बनाया है और अपनी कविता ताज महल में पहली बार समान आख्यान को अपनाया है।  ये बातें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफेसर ख्वाजा मुहम्मद इकरामुद्दीन ने पटना विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में साहिर लुधियानवी और समकालीन शायर विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य भाषण देते हुए कही है।

 दरअसल, पटना विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में 'साहिर लुधियानवी और समकालीन शायर' शीर्षक से दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया था।  25 सितंबर को उद्घाटन बैठक की अध्यक्षता उर्दू सलाहकार बोर्ड साहित्य अकादमी के संयोजक चंद्रभान ख्याल ने की, जबकि मुख्य भाषण ख्वाजा मुहम्मद इकरामुद्दीन ने दिया। साहित्य अकादमी के अधिकारी मोहम्मद मूसा रज़ा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया और उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ. शहाब ज़फ़र आज़मी ने उद्घाटन भाषण प्रस्तुत किया और साहिर लुधियानवी के बारे में बहुमूल्य और उपयोगी जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि साहिर सकारात्मक मूल्यों के शायर हैं, साहिर सपनों और उम्मीदों के शायर हैं। साहिर की शायरी हमें नई जिंदगी और प्रेरणा देती है।

 सेमिनार का उद्घाटन करते हुए अपने भाषण में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि साहिर सपनों के शायर और सपनों को साकार करने वाले शायर हैं। हमें भी सपने देखना चाहिए और उसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।'  उन्होंने रचनात्मक परियोजनाओं के साथ-साथ पटना विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान और शिक्षण गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला। बिहार विधान सभा के सदस्य डॉ. शकील अहमद खान ने अपने भाषण में छात्रों को सलाह दी कि उन्हें साहिर के दो संग्रह चाय और तल्खियां का अध्ययन अवश्य करना चाहिए और आगे कहा कि उर्दू साहित्य में जीवन जीने का एक तरीका और शालीनता है। आप दुनिया को जीत सकते हैं।

पूर्व कुलपति मौलाना मजहरुल हक अरबी और फारसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एजाज अली अरशद ने अपने भाषण में कहा कि पटना विश्वविद्यालय से मेरा रिश्ता पचास साल पुराना है। एक छात्र और एक शिक्षक के रूप में मैंने पचास परिसर देखे हैं।  जिन छात्रों को मैंने पढ़ाया है वे शिक्षक और प्रोफेसर बन गए हैं। साहिर के बारे में उन्होंने कहा कि जिस तरह साहिर की शायरी मशहूर है, उसी तरह उनकी मोहब्बत भी मशहूर है।  साहिर ने अपने असफल प्रेम संबंधों के मद्देनजर जाने-अनजाने उर्दू शायरी को एक नई यथार्थवादी अवधारणा दी। नज़ीर अकबराबादी के बाद साहिर लुधियानवी सबसे बड़े जनकवि हैं। इसलिए साहिर को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध शायर चंद्रभाल ख्याल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि साहिर पीड़ा और विरोध के शायर हैं और मेरे पसंदीदा शायर हैं। अंत में डॉ. सूरज देव सिंह ने सेमिनार में आये सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।

गौरतलब है कि उद्घाटन बैठक के बाद 2 सत्र शुरू किए गये जिसमें देश भर के प्रतिष्ठित लेखकों और आलोचकों ने हिस्सा लिया। तकनीकी सत्र के पेपर लेखकों में प्रो. रियाज़ अहमद (जम्मू), प्रो. मुहम्मद काज़िम (दिल्ली), प्रो. हुमायूँ अशरफ (हजारी बाग), हक्कानी अल कासिमी (दिल्ली), प्रो. हामिद अली खान, प्रो. जानकी शामिल हैं। शर्मा (दिल्ली), प्रो. शाह हुसैन अहमद और नईम अनीस (कलकत्ता) के नाम उल्लेखनीय हैं।  इस सेमिनार में विभाग के शिक्षकों, शोधार्थियों, छात्र-छात्राओं के अलावा बड़ी संख्या में साहित्यकारों ने भाग लिया। 

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