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टीपीएस कॉलेज में रिमोट सेंसिंग से जल गुणवत्ता की निगरानी विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

टीपीएस कॉलेज में रिमोट सेंसिंग से जल गुणवत्ता की निगरानी विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

PATNA : टी.पी.एस. कॉलेज पटना में शनिवार को बोटनी डिपार्टमेंट के तत्वावधान में रिमोट सेंसिंग द्वारा जल गुणवत्ता की निगरानी विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न हो गया । इस कार्यशाला के समापन समारोह का उद्घाटन कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो उपेंद्र प्रसाद सिंह, मुख्य अतिथि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. रिमझिम शील एवं डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. एके नाग ने किया । 

इस मौके पर प्रधानाचार्य प्रो. उपेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि जैसा कि विश्व जल परिषद ने कहा है आज जल संकट है । भारत के जल संसाधनों ने एकीकृत विकास और प्रबंधन में रिमोट सेंसिग तकनीकी का प्रभावी ढ़त से उपयोग किया जाता है । मुख्य अतिथि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के अध्यक्ष सह विश्वविद्यालय वनस्पति विभाग के अध्यक्ष प्रो. रिमझिम शील ने इस कार्यशाला को शोधार्थी, छात्र-छात्राओं के लिए काफी लाभदायक बताया । इन्होंने जल संकट से बचाव के लिए कई सुझाव भी दिये । 

विशिष्ट अतिथि डी. प्रो. ए. के. नाग ने रिमोट सेंसिग द्वारा जल की गुणवत्ता निगरानी विषय पर आयोजित कार्यशाला में बताया कि जल संकट एक ग्लोबल समस्या है । जल की गुणवत्ता एवं मात्रात्मक दोनों तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है । प्रो. नाग ने बताया कि कुल पानी का मात्र 2.9 % पानी ही मानव उपयोग के लिए है । अर्थात विश्‍व में जल संकट है । उन्‍होंने यह बताया कि भारत में एशिया का सर्वात्तम गुणात्‍मक जल स्‍त्रोत है । झरना का पानी भू-जल से बेहतर है । यह भी बताया कि बिहार के कई जिले जैसे - रोहतास, बाका में जनवरी माह में वाटर स्‍ट्रेस उत्‍पन्‍न हो जाता है । 

आयोजन सचिव सह टी.पी.एस. कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष ने कार्यशाला के तकनीकी पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए रिमोट सेंसिग काफी उपयोगी है । इस कार्यशाला में पानी ही हाडनेस, टी.एस.एस., क्लोरोफिल, डी.ओ., बी.ओ.डी., टरबीडिटी, फॉस्फेट एवं नाइट्रेट की जांच की गई है । माधोपुर ‌(पटना) गांव के पास से पुनपुन नदी की पानी जांच हेतु लिया गया है । तीन जगहों से नमूना लिया गया था । बादशाही पइन का पुनपुन नदी में संगम स्थान, संगम के बाद एवं पहले लिया गया था । 

जांच में पाया गया कि बादशाही पइन के डिस्चार्ज मिलने के बाद पानी प्रदूषित हो चुका है । जांच में लिये सभी पारामीटर में गुणात्मक कमी पाया गया है । तुलनात्मक अध्ययन से पताचला कि माधोपुर गांव के पहले पुनपुन नदी का पानी में प्रदूषण नहीं के बराबर है । रिमोटसेंसिग तकनीकी प्रयोग के लिए गुगल अर्थ इंजन प्लेटफॉर्म के द्वारा यूरोपिन और नासा के सेटेलाइट का प्रयोग किया गया । 

कॉलेज के लैब भी सभी पारामीटर का अध्ययन किया गया। डॉ. अबू बकर रिजवी एवं डॉ. सुशोभन पलाधि ने भी अपने विचार व्यक्त किये । इस मौके पर कई शोधार्थी एवं विभिन्न कॉलेज के छात्र व छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग आईआईआरएस इसरो के रिसर्च स्कॉलर प्रेम शंकर के द्वारा प्रदान किया गया। धन्यवाद व्यक्त डॉ. श्‍वेता शर्मा ने किया । 


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