Desk: माधोपट्टी, एक छोटा सा गांव. अचानक से चर्चा में हैं. आप उत्सुक होंगे ये जानने के लिए की क्यों चर्चा में है माधोपट्टी. जबाव है 75 घरों वाले इस गांव में तकरीबन हर घर से एक आईएएस या आईपीएएस है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गांव के पहले आईएएस अधिकारी मुस्तफा कवि वमीक जौनपुरी के पिता थे, जिन्होने साल 1914 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास किया था और पीसीएस में शामिल हुए थे. हुसैन के बाद आईएएस इंदु प्रकाश थे, जिन्होने 1951 में सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी, और आईएफएस बने थे, वो करीब 16 देशों में भारत के राजदूत रहे, तब से ही ये सिलसिला चला आ रहा है.
माधोपट्टी के नाम एक और बड़ा अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है, इस गांव के एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पासकर नया रिकॉर्ड कायम किया था साल 1955 में परिवार के सबसे बड़े बेटे विनय ने 13वां स्थान हासिल किया था, बाद में वो बिहार के मुख्य सचिव होकर रिटायर हुए, इसके बाद उनके दो भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 164 में ये परीक्षा पास की, फिर सबसे छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में यूपीएससी परीक्षा पास कर कीर्तिमान स्थापित किया.
इस गांव के युवाओं में पढाई के प्रति अलग ही लगाव है, यूपीएससी के अलावा कुछ युवाओं ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र और विश्व बैंक में भी काम किया है सिर्फ 4000 आबादी वाले इस गांव में अब तक 47 लोग यूपीएससी क्रेक कर चुके हैं, इसके साथ ही बैंक पीओ और एसएससी में भी कई युवा हैं. माधोपट्टी के एक शिक्षक ने बताया कि गांव में इंटरमीडिएट में पढाई करने वाले छात्र अकसर यूपीएससी और पीसीएस परीक्षा की तैयारी शुरु कर देते हैं. गांव के अधिकांश स्कूलों में शिक्षा का माध्यम अभी भी हिंदी है, इसलिये सभी युवा साथ-साथ अपनी अंग्रेजी सुधारने के लिये खुद को प्रशिक्षित करते हैं, गांव के लगभग हर बच्चे की तमन्ना अधिकारी बनने की है, गांव वाले कहते हैं गांव का हर बच्चा जिलाधिकारी बनना चाहता है.