डेस्क... भोजराम पटेल छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले के तारापुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम महेशराम पटेल है और वह प्राईमरी तक की हीं शिक्षा ग्रहण किए हैं। उनकी माता का नाम लीलावती पटेल है और वह अनपढ़ हैं। जीवन-यापन करने के लिए उनके पास सिर्फ 2 बीघा जमीन के अलावा और कुछ भी नहीं था। भोजराम गांव के हीं सरकारी स्कूल से पढ़े। उन्होंने अपने जीवन के इन सभी कठिनाईयों को सहर्ष स्वीकार किया।
भोजराम ने कुछ करने के उद्देश्य से शिक्षा की सीढ़ी बनाने का संकल्प लिया। वह एक संविदा शिक्षक बने, लेकिन उनका लक्ष्य यह न होकर कुछ और था। भोजराम के माता-पिता कम पढ़े-लिखे होने के बाद भी शिक्षा के महत्व को बखूबी समझते थे। इसलिए उन्होंने भोजराम को हमेशा पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रेरित किया करते थे।
भोजराम अपनी स्कूली शिक्षा के समय अपने माता-पिता के साथ खेतो में भी हाथ बंटाते थे। उसके बाद कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद भोजराम का चयन शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के पद पर हो गया। उसके बाद उन्होंने मिडिल स्कूल में शिक्षक के पद पर अध्यापन का कार्य किया तथा स्कूल से छुट्टी मिलने पर सिविल सर्विस की पढ़ाई पर भी ध्यान केंद्रित किया। भोजराम की लगन, मेहनत तथा माता-पिता की मेहनत रंग लाई। भोजराम सिविल सर्विस के परीक्षा में सफल हुए। आज वह एक IPS हैं।
भोजराम बताते हैं कि उन्होंने गरीबी को बेहद नजदीक से देखा है। एक समय था, जब पेट भरना बहुत बड़ी चुनौती थी। घर में अनाज न होने की वजह से उनकी मां दाल या सब्जी मे अधिक मिर्च डाल देती थी ताकी भूख जल्दी शान्त हो जाए और कम भूख लगे। उन्होंने बताया कि जिस सरकारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण किया उसी स्कूल के बच्चों को पढ़ने मे सहयता करते हैं। वे कहते हैं कि जीवन में कुछ हासिल करने के लिए शिक्षा हीं एक मात्रा साधन है।