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खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास पर चले जाएंगे व्रती, कल देंगे डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य

खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास पर चले जाएंगे व्रती, कल देंगे डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य

PATNA : लोक आस्था के महापर्व छठ का आरंभ नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ हो चुका है. वहीं पूजा के दूसरे दिन यानी कि आज खरना (kharna 2021) किया जाता है. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर खीर का प्रसाद बनाती हैं। खरना का समय शाम 5: 45 बजे से 6: 25 बजे के बीच है।

खरना के साथ ही व्रती निर्जला उपवास पर चली जाती है। शाम होने पर गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। यानी इस दौरान वे पानी भी नहीं पीते.

छठ के खीर की अलग विशेषता

कई स्थानों पर इस दिन दो तरीके से खीर का प्रसाद बनाया जाता है. एक दूध और चावल से खीर बनाई जाती है जिसमें न तो चीनी और न ही गुड़ मिलाया जाता है. वहीं दूसरे प्रकार की जो खीर बनाई जाती है उसे गुड़ से बनाया जाता है. इन दोनों के साथ ही रोटी भी बनाई जाती है. शाम को पूजा करने के बाद इन दोनों प्रकार के खीर को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है और ग्रहण किया जाता है.

नहाय खाय के दिन प्रसाद बनाने की तैयारी

इससे पहले नहाय खाय पर छठ व्रतियों ने गंगा में स्नान कर सूर्य की उपासना की। उसके बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को बनाकर प्रसाद ग्रहण किया। उसके बाद पूरे परिवार के लोगों ने प्रसाद खाया। इस दौरान खरना को लेकर हर घरों में पूरे दिन तैयारी चली। गेहूं को धोकर सुखाया गया। इसी गेहूं के आटा से खरना का प्रसाद तैयार होगा। हर घर में छठ के लिए पकवान बनेंगे। गेहूं पिसाई को लेकर शहर के हर इलाके में आटा चक्की वाले अपने मिल की साफ-सफाई की तैयारी पूरी कर ली है। 

कल दिया पहला अर्घ्य

खरना के बाद कल डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस दौरान सूर्य भगवान की पूजा करती हैं और बांस से बने सुप में तमाम तरह के फल लेकर उनका भोग लगाती हैं. बाद में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाते हैं। चौथा दिन उगते सूर्य को अ‌र्घ्य छठ पूजा के चौथे दिन 11 नवंबर को व्रत का पारण किया जाता है और छठ पर्व का समापन होता है। इस दिन व्रती सुबह सूर्यादय से पहले घाट पर जाकर पानी में खड़े होते हैं और उगते सूर्य की पूजा कर अ‌र्घ्य देते हैं। फिर प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है।


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