आखिर G-20 में शामिल होने पुतिन क्यों नहीं आ रहे भारत, कहीं इस डर तो नहीं बनाई है दूरी

आखिर G-20 में शामिल होने पुतिन क्यों नहीं आ रहे भारत, कहीं इस डर तो नहीं बनाई है दूरी

दिल्ली - अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आज भारत पहुंचने वाले हैं. भारत आने से पहले ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन की यह पहली भारत यात्रा है. वहीं भारत और रूस के बीच घनिष्ठ संबंध होते हुए भी नई दिल्ली में आयोजित इतने महत्वपूर्ण आयोजन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भाग नहीं लेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई बातचीत में पुतिन ने बता दिया था कि वह भारत नहीं आ पाएंगे और उन्होंने इसके लिए दुख भी जताया था. पुतिन ने प्रधानमंत्री को बताया कि इस बैठक में रूस का प्रतिनिधित्व रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे.पुति ने नहीं आने से कई सवाल खड़े हुए हैं. बता दें 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में होने वाली G20 समिट में 6 देशों के सबसे बड़े नेता शामिल नहीं हो रहे हैं. इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हैं. पुतिन साउथ अफ्रीका में हुई ब्रिक्स समिट में सम्मलित नहीं हुए थे. 17 मार्च 2023 के बाद पुतिन ने किसी भी देश की यात्रा नहीं की है.

17 मार्च 2023 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट  ने यूक्रेनी बच्चों को गैर-कानूनी और अवैध तरीके से रूस ले जाने में पुतिन को दोषी  ठहराते हुए वारंट जारी किया था. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने बताया था कि 16 हजार से ज्यादा यूक्रेनी बच्चे रूस भेजे गए हैं. पुतिन के खिलाफ इस केस की जांच पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट  के प्रॉसिक्यूटर करीम अहमद खान ने किया था.

1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी  की शुरुआत हुई थी. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है. इसका मुख्यालय द हेग में है. ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं.रूस, अमेरिका, चीन, भारत सहित कई देश इसके सदस्या नहीं हैं. यह कोर्ट आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सदस्य देशों को वारंट भेजती है, जो एक सलाह की तरह होता है. भारत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट  के सदस्य देशों में शामिल नहीं है और  न ही भारत ने 1998 के रोम समझौते पर हस्ताक्षर किया है. 2015 में भी ऐसा ही एक मौका आया था जब  सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर हसन अहमद अल-बशीर इंडिया-अफ्रीका समिट में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे. उस समय इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने भारत से उमर हसन को अरेस्ट करने में मदद करने के लिए कहा था, लेकिन भारत ने कोई उत्तर नहीं दिया था.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार पुतिन को भारत क्या, किसी भी देश में गिरफ्तार करना संभव नहीं है. पुतिन की गिरप्तारी का मतलब है रूस से युद्ध मोल लेना. भारत में तो बिल्कुल भी ऐसा नहीं होगा, भारत के रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, ऐसे में गिरफ्तारी का तो सवाल हीं नहीं पैदा होता.

जी20 सम्मेलन से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दक्षिण अफ्रीका में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भी हिस्सा लेने नहीं गए थे. उन्होंने इस सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लिया था. ब्रिक्स देशों को संबोधित करते हुए उन्होंने वैश्विक बाजार में खाने और अन्य चीजों की बढ़ती कीमतों के पश्चिमी मुल्कों के प्रतिबंधों को जिम्मेदार बताया था. जब रूसी राष्ट्रपति ब्रिक्स देशों के सम्मलेन में शामिल नहीं हुए थे, तभी ये साफ हो गया था कि वह शायद भारत भी नहीं आएं.

पुतिन का नहीं आना भी भारत के लिए अच्छी बात है. अगर पुतिन भारत आते, तो यूक्रेन के मुद्दे पर नई दिल्ली बुरी स्थिति में फंस सकता था. भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर कहीं न कहीं रूस का साथ ही दिया है. जब जी20 की बैठक होती, तो उसमें पश्चिमी मुल्कों के नेता यूक्रेन युद्ध पर पुतिन को घेरते. उनके फेंके जाल में भारत भी फंस सकता था, जिसकी वजह से असहज स्थिति पैदा होने की संभावना जताई गई. पुतिन के नहीं आने से भारत एक बड़ी परेशानी से बच गया है. माना जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के साथ ही पुतिन वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ गए हैं. पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. वे भारत में यूक्रेन युद्ध पर चर्चा से बचने के लिए भी इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं. जी-20 में भारत ने यूक्रेन को नहीं बुलाया है. इसे लेकर जी-20 के सदस्य देश कनाडा के प्रधानमंत्री ने नाखुशी भी जाहिर की थी.


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