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राजभवन के बाद अब निर्वाचन विभाग को केके पाठक ने दी सलाह, पत्र लिख कर कहा- ...इनसे काम लेना अनुचित

राजभवन के बाद अब निर्वाचन विभाग को केके पाठक ने दी सलाह,  पत्र लिख कर कहा- ...इनसे काम लेना अनुचित

पटना- राज्यपाल की बैठक में केके पाठक के नहीं पहुंचने का मामला अभी ठंड़ा भी नहीं पड़ा था कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने  चुनाव आयोग को सलाह दे दी है. केके पाठक ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को चिठ्ठी लिखकर कहा है कि उनके विभाग में आउटसोर्सिंग के जरिए तैनात अस्थायी कर्मियों को लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाना अनुचित है.

अपर मुख्य सचिव  केके पाठक ने ने बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी  से कहा है कि वे सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी  को निर्देश दें कि ऐसे स्टाफ को लोकसभा चुनाव के काम में ना लगाया जाए.

केके पाठक ने बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से अस्थायी रूप से नियुक्ति कर्मियों को चुनाव के कार्य में लगाना उचित नहीं है. पाठक ने अपने पत्र में चुनाव आयोग को बताया है कि राज्य में पर्याप्त संख्या में शिक्षक और शिक्षा कर्मी हैं, जिन्हें लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाया गया है.

केके पाठक ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से आग्रह किया है कि वो अपने स्तर से जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश दें कि शिक्षा विभाग के आउटसोर्सिंग कर्मियों को चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाए.

इससे पहले पाठक ने शुक्रवार को राजभवन को एक पत्र लिख दिया. इसमें उन्होंने राज्यपाल द्वारा विभाग के कामों में हस्तक्षेप करने पर आपत्ति दर्ज कराई. साथ ही कहा कि आगे से वे उनके मामलों में हस्तक्षेप न करें. इस पत्र के बाद राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच टकराव और तेज हो गया है. इससे पहले राज्यपाल ने विभाग पर यूनिवर्सिटी के कार्यों में बाधा डालने के आरोप लगाए थे.

अपने  सख्त आदेशों के कारण केके पाठक अधिकतर शिक्षकों व विभाग के कर्मियों के बीच अन पॉपुलर कहे जाते हैं. महागठबंदन की नीतीश सरकार के दो मंत्री चंद्रेशखर और रत्नेश सादा से विवाद को लेकर  केके पाठक सुर्खियों में रहे हैं. बता दें कि वर्ष 2021 में फेम इंडिया मैगजीन ने भारत के 50 असरदार ब्यूरोक्रेट्स की एक सूची प्रकाशित की, जिसमें केके पाठक का भी नाम शामिल था. वहीं कहा जाता है कि केके पाठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते अधिकारी में से एक हैं. महागठबंधन की सरकार बनने पर 2015 में पाठक को दिल्ली से नीतीश ने बुलाया था.

बहरहाल केके पाठक के पत्र पर चुनाव आयोग क्या फैसला करता है इसका सबको इंतजार है. 


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