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दो दशक के इंतजार के बाद अब सेवा के लिए पूरी तरह से तैयार है श्रीकृष्ण सेतु, इस दिन होगा सड़क पुल का उद्घाटन

दो दशक के इंतजार के बाद अब सेवा के लिए पूरी तरह से तैयार है श्रीकृष्ण सेतु, इस दिन होगा सड़क पुल का उद्घाटन

MUNGER : 14 साल का इंतजार आखिरकार अब खत्म होने जा रहा है। बेगूसराय और मुंगेर सहित दूसरे जिलों के लिए गंगा नदी पर नए बने श्रीकृष्ण सेतु के उद्घाटन की तारीखों की घोषणा कर दी गई है। आगामी 11 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी इस नए रेल-सह सड़क पुल का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद मुंगेर से खगड़िया और बेगूसराय सड़क मार्ग से बेहद नजदीक हो जाएंगे।

2774 करोड़ की लागत से हुआ तैयार

बता दें श्रीकृष्ण सेतु के निर्माण 2774 करोड़ की लागत आई है। 3692 मीटर लंबे इस पुल की चौड़ाई 12 मीटर है। जबकि पुल से संबद्ध संपर्क पथ एनएच 333 बी के उत्तरी क्षेत्र में साहेबपुर कमाल प्रखंड के हीराटोल गांव के निकट एनएच 31 तक लंबाई 5.133 किलोमीटर एवं पुल के मुंगेर की तरफ पथ की लंबाई 9.39 किलोमीटर है। श्रीकृष्ण सेतु से राजेंद्र सेतु रेल सह सड़क पुल की दूरी पश्चिम की ओर 55 किलोमीटर एवं श्रीकृष्ण सेतु से पूर्व भागलपुर जिला के विक्रमशिला सेतु की दूरी 68 किलोमीटर है।

पुल के निर्माण पर 2774 करोड़ रुपये की लागत आई है। श्री कृष्ण सेतु से होने वाले लाभनिर्मित श्रीकृष्ण सेतु से आम जन को काफी लाभ मिलेगा। काफी समय एवं कम खर्च में रेल सह सड़क पुल से उत्तर बिहार, कोसी क्षेत्र एवं सीमांचल क्षेत्र में पहुंचना आसान होगा। सीमांचल क्षेत्र की ट्रेन गंगा नदी पार कर कोसी एवं उत्तरी बिहार, इसी तरह कोसी क्षेत्र की ट्रेन एवं उत्तर बिहार की ट्रेन सीमांचल क्षेत्र पहुंचेगी। श्रीकृष्ण सेतु से संबद्ध एनएच 333 (बी) श्रीकृष्ण सेतु से उत्तर बेगूसराय जिले के पूर्वी किनारे पर स्थित साहेबपुर कमाल प्रखंड क्षेत्र से गुजरे एनएच 31 को जोड़ेगा। मुंगेर की ओर एनएच 33 को जोड़ेगा। इससे कोसी, मिथलांचल एवं सीमांचल के लाखों लोग लाभान्वित होंगे।

निर्माण को लेकर खूब हुई राजनीति

वर्षों से सीमांचल को कोसी एवं मिथिलांचल को जोड़ने के लिए मुंगेर एवं बेगूसराय के बीच बह रही उत्तरायण गंगा पर रेल सह सड़क पुल की मांग की जा रही थी। वर्ष 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इस पुल का शिलान्यास किया गया। निर्माण कार्य प्रारंभ भी हुए। उस समय पुल निर्माण के लिए गंगा नदी में 19 पिलर का निर्माण किया जाना था। कार्य निर्माण एजेंसी द्वारा उत्तरी एवं दक्षिणी ओर से प्रारंभ की जाना था, लेकिन राजनीतिक कारणों से उत्तरी क्षेत्र साहेबपुर कमाल की ओर से बाधा उत्पन्न की जाती रही। 

पिलरों की संख्या बढ़ाई गई, सात साल की हुई देरी

परिणामस्वरूप उत्तर की ओर से कार्य अवरुद्ध होने पर मात्र मुंगेर की ओर से कार्य प्रारंभ हुआ। इसके चलते गंगा नदी की धार का दबाव उत्तरी किनारे पर बढ़ गया। भीषण कटाव के कारण एजेंसी द्वारा छह पिलर बढ़ाने की मांग की गई। बाद में पांच पिलर के टेंडर प्रक्रिया में विलंब के कारण तत्कालीन निर्माण एजेंसी 19 पिलर का निर्माण कर कार्य को रोक दिया। बाद में दूसरी निर्माण एजेंसी छह पिलर का निर्माण कर पुल निर्माण करने लगी। निर्माण खर्च भी 927 करोड़ से बढ़ कर 2774 करोड़ हो गया। 

2016 में पुल पर शुरू हुई रेल सेवा

12 जनवरी 2016 में पुल के रेल मार्ग का लोकार्पण पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। प्रारंभ में उक्त रेल लाइन पर मालगाड़ी चलाई गई। पुल के रेल संपर्क उत्तर की ओर सबदलपुर जंक्शन होते हुए दो रेल लाइन बरौनी-कटिहार रेलखंड पर पश्चिम की ओर साहेबपुर कमाल जंक्शन एवं खगड़िया की ओर से उमेश नगर स्टेशन से जोड़ा गया।

बिहार के पहले मुख्यमंत्री के नाम को मिली मंजूरी

गंगा नदी पर मुंगेर रेल सह सड़क पुल निर्माण के साथ ही स्थानीय लोगों, राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आधुनिक बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री सह महान स्वतंत्रता सेनानी बिहार केशरी के नाम से प्रसिद्ध श्रीकृष्ण सिंह उर्फ श्रीबाबू के नाम से पुल का नाम श्री कृष्ण सेतु रखने की मांग उठने लगी। अंततः केंद्र सरकार द्वारा पुल के सड़क पथ के लोकार्पण से पूर्व श्रीकृष्ण सेतु के नामकरण का निर्णय के बाद केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा शरीकृष्ण सेतु के नामकरण करने की घोषणा की गई।

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