BUXAR : 11 अक्टूबर की रात्रि बक्सर के रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन पर डाउन लाइन में 128 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से सरपट दौड़ रही नॉर्थ ईस्ट सुपरफास्ट ट्रेन में सवार होकर अपनी जिंदगी की उड़ान को रफ्तार देने के लिए उतरप्रदेश के गाजियाबाद से सफर की शुरुवात करने वाले अनुज कुमार को क्या पता था। कि इस ट्रेन की रफ्तार उनके जीवन के सपनो की रफ्तार पर ही ब्रेक लगा देगा। 9 बजकर 53 मिनट पर जब 12506 नॉर्थ ईस्ट ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हुई। उसी ट्रेंन में सवार होकर अनुज एसएसबी की परीक्षा पास कर मेडिकल परीक्षा में शामिल होने के लिए असम जा रहा था। इस रेल दुर्घटना में उसकी हाथ टूट गई। हालाँकि अनुज को ऐसा भरोसा था की जिस घटना से पूरा देश मर्माहत है। उस ट्रेन दुर्घटना में घायल अनुज के साथ भी एसएसबी के अधिकारी सिम्पैथी दिखाएंगे और ठीक होने के बाद मेडिकल कराने का मौका देंगे। जख्मी हालत में ही एसएसबी के कैम्पस में मेडिकल कराने पहुँचे अनुज को जैसे ही अधिकारियो ने देखा और देखते ही वापस लौटा दिया। उसके बाद वह अपने नसीब को कोसते हुए घर को लौट गए, और अपनी तस्वीर साझा कर अपना दर्द बयां किया।
अनुज के साथ परिवर वालो को भी लगा गहरा आघात
अनुज जब एसएसबी की फिजिकल और लिखित परीक्षा पास कर मेडिकल के लिए घर से असम की यात्रा पर निकला तो उसके मा बाप , भाई बहन स्वजनों के साथ पड़ोसियो को भी यह भरोसा था। उनका लाल मेडिकल की परीक्षा को पास कर देश की सेवा कर सबो का नाम रौशन करेगा। लेकिन एक ही झटके में ताश के पतो की तरह बिखरे ट्रेन की डिब्बो के साथ अनुज और उसके स्वजनों का सपना भी बिखर गया। अनुज को इस बात की टीस है की यदि यह रेल दुर्घटना न हुई होती तो आज उसका सपना साकार हो गया होता। उसकी जिंदगी में अंधकार घर नही बनाया होता।
इस ट्रेन दुर्घटना में 6 की हुई थी मौत 78 हुए थे घायल
11 अक्टूबर को रघुनाथपुर में हुए ट्रेन दुर्घटना में भले ही रेल प्रशासन ने 5 मौत और 78 घायल की सूची प्रकाशित कर मुआवजे का मरहम उनके जख्म पर लगाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन अनुज के जैसे उस ट्रेन में यात्रा करने वाले कई यात्री होंगे। जिनके जख्मो के गहरापन का न तो कोई अंदाजा लगा सकता है। और ना ही कोई मुआवजा उस जख्म को भर सकता है। अनुज का मायूस चेहरा सिष्टम के उस लचर व्यवस्था को जीवन भर आईना दिखाता रहेगा जो जांच के नाम पर पूरे मामले की लीपापोती कर देते है।
दुर्घटना में अनुज की टूट चुका है दहिना हाथ
11 अक्टूबर की रघुनाथपुर में हुए भीषण ट्रेन दुर्घटना की चर्चा करते हुए अनुज ने बताया कि उसके दाहिने हाथ की हड्डी के साथ उसका देश सेवा करने का सपना भी टूट गया है। क्योंकि उसके लिए यह अंतिम परीक्षा थी। जिसकी उम्र सीमा को अब वह पार कर गया है। अनुज जहाँ रेलवे के ईस लापरवाही से नाराज दिखे। वही इस ट्रेन दुर्घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों की तत्परता तथा मानवीय संवेदना को देख वह काफी प्रभावी भी हुए। इस दौरान उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के प्रयास से ही मौत का आंकड़ा कम हुआ जिसके लिए ग्रामीण धन्यवाद के पात्र है।
बक्सर से संदीप वर्मा की रिपोर्ट