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मदन सिंह अमर रहे’ के नारों से गूंजा औरंगाबाद, शहीद को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब, रो पड़ा गांव, पुत्र ने नम आंख से दी मुखाग्नि

मदन सिंह अमर रहे’ के नारों से गूंजा औरंगाबाद,  शहीद को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब, रो पड़ा गांव, पुत्र ने नम आंख से दी मुखाग्नि

औरंगाबाद- देखो-देखो कौन आया शेर आया शेर आया, जब तक सूरज चांद रहेगा शहीद मदन सिंह  का नाम रहेगा, शहीद मदन सिंह   अमर रहे…इन्हीं गूंजों के साथ छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला अंतर्गत पंखाजूर में पुलिस और नक्सलियों की हुई मुठभेड़ में औरंगाबाद जिले के रिसियप थाना क्षेत्र के सड़सा गांव निवासी बीएसएफ जवान मदन सिंह का बटाने नदी के घाट पर अंतिम संस्कार किया गया.

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला अंतर्गत पंखाजूर में पुलिस व नक्सलियों की हुई मुठभेड़ में औरंगाबाद जिले के रिसियप थाना क्षेत्र के सड़सा गांव निवासी बीएसएफ जवान मदन सिंह  गोली लगने से शहीद हो गए थे. उनका पार्थिव शरीर शनिवार की शाम झारखंड के रास्ते पैतृक गांव लाया गया. बिहार एवं झारखंड बॉर्डर सांडा मोड़ के पास हजारों की संख्या में युवाओं, बुजुर्गों ने उनका पार्थिव शरीर का आने का इंतजार कर रहे थे ज्यों ही पार्थिव शरीर बिहार में प्रवेश किया वहा  हजारों की संख्या में उपस्थित लोग भारत माता की जय , मदन सिंह अमर रहे के नारे से गूंज उठा , काफिला करीब 15 किलोमीटर की यात्रा तय करते हुए शाहिद के पैतृक गांव सड़सा पहुंचा जहा पूर्व से ही उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे. एक तरफ  'भारत माता की जय' और 'मदन कुमार अमर रहें' वंदे मातरम के नारों से पूरा इलाका गूंज रहा था तो दूसरी तरफ शहीद के  परिजन का रो–रोकर बुरा हाल था.  मदन सिंह सड़सा गांव निवासी मानदेव सिंह के तीसरे नंबर के पुत्र थे .ड्यूटी के दौरान आखिरी बार होली में वे अपने गांव आए थे.

एक काफिले के रूप में वाहन पैतृक गांव पहुंचा. शहीद का पार्थिव शरीर देखकर पत्नी, बेटा , बेटी बेसूध हो गए. सेना के अधिकारियों ने परिजनों को ढांढस बंधाया.  पत्नी मानने को तैयार नहीं थी.बेटी की हालत ऐसी थी मानो उनके पिता कुछ देर में उनके पास आकर बोल उठेंगे.  यह सब देखकर वहां उपस्थित हर किसी का आंख नम हो उठी.

शहीद मदन सिंह की शादी वर्ष 2001 में संजू देवी से हुई थी जो उनके पैतृक गांव में ही रहती हैं, उनका एक बेटा और एक बेटी है. बेटी सिया नंदिनी बीए फाइनल ईयर की छात्रा है जबकि बेटा शिवम रांची में रहकर प्लस टू की पढ़ाई करता है.अपने पिता की शहादत की खबर सुनकर बच्चे भी स्तब्ध हैं , 

अंतिम विदाई के लिए शाहिद की पार्थिव शरीर श्मसान घाट जाने के दौरान, रिसियप,भरौधां,संडा,टिमल बिगहा सहित अन्य जगहों पर शहीद के अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में  लोग  मौजूद थे.  रात्रि के करीब करीब 10 बजे बटाने नदी के घाट पर शाहिद को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.  शहीद के पुत्र शिवम कुमार ने मुखाग्नि दिया.

घटना की सूचना मिलते हैं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, लोजपा नेता सोनू सिंह, जिला परिषद प्रतिनिधि सुबोध कुमार, रिसियप मुखिया प्रतिनिधि टूटू यादव, भरौंधा मुखिया विजय कुमार सहित अन्य लोगों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की.

रिपोर्ट- दीनानाथ मौआर



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