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बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन पर 19 साल की उम्र में ही दर्ज हो गया था पहला केस,फिर बन गया A कैटेगरी का कुख्यात अपराधी

बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन पर 19 साल की उम्र में ही दर्ज हो गया था पहला केस,फिर बन गया A कैटेगरी का कुख्यात अपराधी

DESK: पूरे बिहार में एक जमाने में खौफ का पर्याय बने सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की कोरोना से मौत होने की खबर है लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसे अफवाह बताया है । सिवान के दो भाइयों के नृशंस हत्या के मामले उम्र कैद की सजा होने के बाद से बाहुबली सांसद लगातार जेल में हैं । पहले सिवान जेल फिर भागलपुर जेल के बाद शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल शिफ्ट कर दिया गया था । लेकिन क्या यही जेल जीवन का अंतिम जेल बना या फिर सिवान के बाहुबली का अंतिम ठिकाना बन जायेगा। शहाबुद्दीन मौत पर सस्पेंस कायम है।बताया जा रहा है कि वेंटिलेटर के सहारे शहाबुद्दीन जीवन की जंग लड़ रहा है। इस कुख्यात का  अपराधिक इतिहास इतना बड़ा है कि उसका एक बार मे आकलन मुश्किल है।

सिर्फ 19 साल की उम्र में दर्ज हुआ था पहला केस

सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन व राजद के वरिष्ठ नेता का कोरोना से निधन की अफवाह ने लोगों की नींद उड़ा दी है । हर कोई जानना चाह रहा है कि सच्चाई है क्या । खैर फिलहाल तिहाड़ ने पूर्व सांसद की मौत की खबरों का खंडन किया है। चलिए थोड़ा  शहाबुद्दीन की आपराधिक कुंडली में झांक लेते हैं। जी हां एक जमाने में पूरे बिहार में शहाबुद्दीन का सिक्का चलता था । राजद सुप्रीमो लालू यादव की छत्रछाया में राजनीति शुरू करने वाले शहाबुद्दीन पर अपराध का खुमार ऐसा छाया था कि सिर्फ 19 साल की छोटी उम्र में उसपर पहला मुकदमा दर्ज हो गया था।यानी 1986 में एक अपराधी के तौर पर शहाबुद्दीन का नाम रजिस्टर्ड हो गया था।उस समय शहाबुद्दीन के उम्र सिर्फ 19 साल थी ।

अपराध की दुनिया मे कदम रखने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा

10 मई 1967 को जन्मे मोहम्मद शहाबुद्दीन पर 1986 में  यानी सिर्फ 19 साल की उम्र में ही पहला केस दर्ज हो गया था। उसके बाद शहाबुद्दीन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। शहाबुद्दीन ने अपराध की दुनिया में कदम भले ही सिवान में रखा लेकिन उसका खौफ धीरे धीरे पूरे बिहार में फैल गया। पॉलिटिकल साइंस में एमए की डिग्री प्राप्त कर चुके पुर डॉन ने अपराध की दुनिया मे कदम बढ़ाने के साथ साथ राजनीतिक गलियारे में चहलकदमी शुरू कर दी। अपराधी और दबंग छवि को देखते हुए राजद सुप्रीमो ने शाहबुद्दीन अपना शागिर्द बनाया। फिर लालू यादव की छत्रछाया में शहाबुद्दीन ने राजनीतिक रास्ता अख्तियार करना शुरू किया । लेकिन इसके बीच पुलिस ने इसे A कैटेगरी का हिस्ट्रीशीटर भी घोषित कर दिया।

1990 में बन गया विधायक फिर 6 साल बाद सांसद

शहाबुद्दीन से पहले जरायम पेशा की दुनिया के कई बेताज  बादशाहों ने राजनीति में कदम जमा लिया था । इसे देखते हुए शहाबुद्दीन ने भी यही रास्ता चुना।  पहली बार लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में जनता दल की युवा इकाई से राजनीति में कदम रखा । राजनीति में आने के बाद शहाबुद्दीन का जलवा और दिखने लगा ।1990 में शहाबुद्दीन पहली बार सिवान से विधायक चुना गया ।1995 में भी उसने विधायक का चुनाव जीतकर पार्टी को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास कराया। शहाबुद्दीन की बढ़ती सियासी ताकत को देखते हुए लोकसभा का टिकट दिया गया। शहाबुद्दीन ने यहां भी बाजी मार ली। पहली बार 1996 मे सिवान से शहाबुद्दीन को सांसद चुन लिया गया। लालू प्रसाद के आंख के तारे शहाबुद्दीन की राजनीतिक हैसियत लगातार बढ़ती रही। 1997 में जब लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी का गठन किया तो शहाबुद्दीन की ताकत सत्ता के साथ और दुगनी हो गई। मोहम्मद शहाबुद्दीन पर फिलहाल कुछ 30 मुकदमा दर्ज था।


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