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श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्ध्य, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा

श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्ध्य, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा

DESK : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देने के लिए शुक्रवार शाम यूपी-बिहार से लेकर झारखंड तक व्रती महिलाओं की भीड़ नदी-तालाब और कुंडों के किनारे उमड़ी। श्रद्धालुओं ने परंपरागत रूप से पूजा पाठ के बाद भगवान भाष्कर को अर्ध्य दिया।  इस दौरान कुछ स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग दिखाई दी तो ज्यादातर स्थानों पर मास्क भी नदारत रहा। बिहार के घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी। यूपी के वाराणसी, लखनऊ, बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, झारखंड के रांची, जमशेदपुर, धनबाद में घाटों पर श्रद्धालुओं का रेला लगा रहा। कोरोना के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने घरों और मुहल्लों के पार्क आदि में बने छोटे तालाबों पर ही अर्ध्य दिया।

कोरोना का असर

इस पर्व की एक बड़ी खासियत यह है कि इसकी पूजा में काम आनेवाली चीजें विशुद्ध रूप से प्राकृतिक होती हैं. सामाजिक रूप की बात करें तो इस पूजा में दिखावा नाम की चीज हो ही नहीं सकती. चाहे गरीब की पूजा हो या अमीर की - पूजन सामग्री प्रकृति के प्रति आभार जताने वाली होती है. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए इस बार कई छठव्रतियों ने अपने घर की छतों पर ही इसका आयोजन किया है.

सूर्य को दीया दिखाने का पर्व

आपको ध्यान दिला दें कि यह एकमात्र ऐसा पर्व है जहां सूर्य को दीया दिखाया जाता है. दरअसल यह दीया दिखाना उस सूर्य के प्रति कृतज्ञयता दिखाना है, जो हमारे जीवन में उजियारा फैलाता है. हमारे लोक की जुबानी परंपरा में यह बात अक्सर कही जाती है कि डूबते हुए सूर्य की पूजा कोई नहीं करता. पर छठ का यह महापर्व इस बात को झुठलाता है. यह पर्व यह बताता है कि हमारा समाज उदीयमान सूर्य का जितना सम्मान करता है, वही कृतज्ञयता और वही सम्मान उसके मन में अस्ताचलगामी सूर्य का भी है. तो प्रकृति की पूजा का यह महापर्व अपने तीसरे दिन अब अपने चरम पर है. कल सुबह के अर्घ्य के साथ छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा. 

पटना के दीघा पाटी पुल घाट पर पहले से बैरिकेडिंग हुई थी। कलेक्ट्रेट और महेंद्रू घाट, गांधी घाट आदि पर बड़ी संख्या में व्रती पहुंच।बड़ी संख्या में लोगों ने घर पर ही इस बार छठ का अर्ध्य दिया। पूजा के लिए लोगों ने प्लास्टिक के टब खरीदे थे। कुछ घरों में प्लास्टिक के टब की जगह रबर वाले बड़े टब और ईंट से चारदीवारी बनाकर उस पर प्लास्टिक की पन्नी लगाकर पानी से भर दिया गया है। घाट की तर्ज पर छठ पूजा के लिए घरों में वेदी भी बनाई गई है।

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