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बिहार में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की बड़ी कार्रवाई ! 3 सरकारी समेत 5 विश्वविद्यालय डिफॉल्टर घोषित, मच गया है हड़कंप

बिहार में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की बड़ी कार्रवाई ! 3 सरकारी समेत 5 विश्वविद्यालय डिफॉल्टर घोषित, मच गया है हड़कंप

पटना- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश भर की 157 यूनिवर्सिटीज को डिफॉल्टर्स की सूची में शामिल किया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 2023 नियमों के अनुसार छात्रों की शिकायतों की सुनवाई के लिए हर कॉलेज में लोकपाल की नियुक्ति अनिवार्य की थी. इसके बाद 17 जनवरी को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग  की ओर से इन नियमों का पालन न करने वाले विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर सूची में शामिल कर लिया गया. अब उनकी सूची प्रकाशित की गई है. इस संबंध में इन विश्वविद्यालयों को बार-बार चेतावनी भी दी गई, लेकिन विश्वविद्यालयों की ओर से कोई कार्रवाई न किए जाने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ये कदम उठाया है.

बिहार के 5 यूनिवर्सिटी शामिल हैं, जिनमे तीन सरकारी और दो प्राइवेट यूनिवर्सिटी को शामिल किया  गया है। सरकारी यूनिवर्सिटी में बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी, पटना, बिहार मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी पटना और तिलका मांझी यूनिवर्सिटी भागलपुर शामिल हैं.

प्राइवेट यूनिवर्सिटी में अल करीम यूनिवर्सिटी, कटिहार और माता गुजरी यूनिवर्सिटी किशनगंज शामिल हैं। यूनिवर्सिटी में छात्रों की समस्याओं को सुनने के लिए लोकपाल की नियुक्ति अनिवार्य है. यह छात्रों की शिकायतों का समाधान करता है.

यूजीसी ने देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को कई बार लोकपाल नियुक्त करने की याद दिलाई, लेकिन उनकी नियुक्ति के बाद यूजीसी ने अपनी डिफॉल्टर सूची जारी कर दी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग  द्वारा डिफॉल्टर की सूची जारी होते ही इन विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया तेजी से शुरू कर दी गई है.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों में लोकपाल नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें विश्वविद्यालयों को 100 फीसदी लोकपाल नियुक्त करना है. यह लोकपाल छात्रों की समस्याओं का संज्ञान लेगा और उनके समाधान का उपाय सुझाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को लोकपाल नियुक्त करने का प्रावधान किया  गया है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को साफ कर दिया है कि वे अपने छात्रों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और तुरंत लोकपाल नियुक्त कर यूजीसी को सूचित करें. छात्रों की समस्या को लेकर विश्वविद्यालयों का यह रवैया ठीक नहीं है.


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