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बिहार कांग्रेस को बड़ा झटका ! विधायक दल की बैठक में नहीं आए आधे से ज्यादा MLA, पार्टी टूटने का खतरा बढ़ा

बिहार कांग्रेस को बड़ा झटका ! विधायक दल की बैठक में नहीं आए आधे से ज्यादा MLA, पार्टी टूटने का खतरा बढ़ा

पटना. बिहार में सत्ता परिवर्तन की आहट के बीच कांग्रेस की मुश्किलें बढती दिख रही है. कांग्रेस ने शनिवार को विधायकों के एक बैठक बुलाई थी. पूर्णिया में आयोजित इस बैठक को दोपहर बाद टाल दिया गया. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के आधे से ज्यादा विधायक बैठक में नहीं आए जिस कारण कांग्रस ने अपनी बैठक टाल दी. कांग्रेस के बिहार में 19 विधायक हैं. लेकिन, कांग्रेस की बैठक मे मे केवल 10 विधायक ही पहुंचने की खबर है. हालांकि पार्टी के तमाम नेताओं पर इस पर चुप्पी साध रखी है कि कुल कितने विधायक आए हैं. पार्टी के करीब 9 विधायक इस बैठक से दूर रहे हैं. इससे कांग्रेस में पार्टी नेतृत्व को लेकर नाराजगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में जाने पर उनका समर्थन करने की खबरों को बल मिला है. 

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बिहार प्रवेश के पूर्व कांग्रेस ने यह बैठक बुलाई थी. 30 जनवरी को पूर्णिया में राहुल की एक जनसभा भी है. इसके पहले पार्टी के आधे से ज्यादा विधायकों के बैठक में नहीं आने की खबरों ने कांग्रेस को अभी से बड़ा झटका दे दिया है. दरअसल, बिहार में एनडीए सरकार बनने के आसार के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साथ कई मोर्चों पर बड़ा खेला कर सकते हैं. एनडीए में जदयू की वापसी से बिहार में एनडीए सरकार बनाकर सीएम नीतीश एक ओर महागठबंधन और विशेषकर राजद को बड़ा झटका देंगे. वहीं दूसरी ओर राजद और कांग्रेस सहित वामदलों में सेंधमारी की कोशिश भी की जा सकती है. इसमें नीतीश कुमार की पार्टी के निशाने पर कांग्रेस सॉफ्ट टारगेट के रूप में रहने की संभावना है.

बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं. कांग्रेस ने शनिवार को पूर्णिया में अपने सभी विधायकों की एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में कांग्रेस 19 MLA में मात्र 10 के शामिल होने की खबर ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. सूत्रों के अनुसार जदयू की कोशिश है कि कांग्रेस के कई विधायकों को अपने पाले में किया जाए. दरअसल, दल-बदल विरोधी कानून के पैराग्राफ 4 में कहा गया है कि यदि कोई राजनीतिक दल किसी अन्य दल में विलय करता है, तो उसके सदस्य अपनी सीटें नहीं खोएंगे। लेकिन इस विलय के लिये सदन में उस पार्टी के पास कम-से-कम दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन होना ज़रूरी है। ऐसे में कांग्रेस के करीब 13 विधायकों को जदयू अगर तोड़ने में सफल रहती है तो उसे बड़ा लाभ मिलेगा. 

जदयू सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कई विधायक अपनी पार्टी से नाराज हैं. पिछले लम्बे अरसे से कांग्रेस ने मन्त्रिमंडल विस्तार को लेकर भी सीएम नीतीश से मांग की थी. लेकिन नीतीश ने उनकी मांगों को अब तक नहीं माना. ऐसे में विधायकों के एक समूह को जदयू की ओर से कोई बड़ा ऑफर दिया जा सकता है. जदयू अगर इसमें सफल रहती है तो उसे दोहरा लाभ मिलेगा. एक ओर कांग्रेस का संख्या बल कम जाएगा. दूसरी ओर राजद भी इससे बड़े झटके का सामना करेगी. 


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