बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

जातीय गणना में भूमिहार के साथ हुआ है बड़ा खेला ... नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप, भाजपा के दावे से हड़कंप

जातीय गणना में भूमिहार के साथ हुआ है बड़ा खेला ... नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप, भाजपा के दावे से हड़कंप

पटना. बिहार के जातीय सर्वे की रिपोर्ट आ चुकी है. ऐसे कई जातियों का कहना है कि उनकी जो संख्या इस जातीय सर्वे में दिखाई गई है वह सही नहीं है. भूमिहार जाति को लेकर भी यही कहा जा रहा है कि उनकी संख्या वर्ष 1931 की जातीय गणना के मुकाबले इस बार कम हो गई जो सही नहीं है. बिहार सवर्ण यानी सामान्य जाति में शामिल भूमिहार को राज्य में एक प्रभावशाली जाति के तौर पर देखा जाता है. सामाजिक और राजनीतिक रूप से भूमिहार काफी सक्रिय रहते हैं. ऐसे में जाति सर्वे के पहले तक भूमिहार की आबादी को लेकर जो दावा किया जाता था उसे सर्वे रिपोर्ट में बड़ा झटका लगा है. 

जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में भूमिहारों की आबादी 2.85 प्रतिशत है. वहीं वर्ष 1931 के जातीय सर्वे में बिहार में भूमिहारों की आबादी करीब 3.6 प्रतिशत के आसपास थी. ऐसे में आबादी में हुई इस कमी अब भूमिहार जाति के कई नेता सवाल उठा रहे हैं. यहां तक कि जातीय सर्वे की रिपोर्ट में जानबूझकर भूमिहारों की आबादी कम करके दिखाने का आरोप भी लगाया जा रहा है. इसी पर अब बिहार भाजपा के प्रवक्ता डॉ रामसागर सिंह ने बिहार की नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने जातीय गणना में भूमिहारों की आबादी कम होने पर नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 

भूमिहार जाति से आने वाले डॉ रामसागर सिंह ने शनिवार को बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा, पिछले कुछ समय में बिहार में हुए विधानसभा उपचुनावों में जिन जातियों ने मुखरता के साथ नीतीश कुमार का विरोध किया उसकी संख्या जाति सर्वे में कम कर दी गई. रामसागर ने कहा कि भूमिहारों ने न तो गांव छोड़ा, ना ही जमीन छोड़ा और ना ही उनके यहां बच्चे पैदा होने बंद हुए. तो आखिर भूमिहार की आबादी कैसे काम गई. उन्होंने कहा कि 1931 के जातीय सर्वे में बिहार, ओडिशा और झारखंड को जोड़कर एक साथ भूमिहार की गणना की गई थी. लेकिन, ओडिशा में भूमिहार नहीं हैं. झारखंड में भूमिहार की आबादी काफी कम है. वहीं बिहार में भूमिहार बढने के बजाय कम हो गए. उन्होंने नीतीश कुमार को इस जातीय सर्वे रिपोर्ट पर घेरते हुए पूछा कि आखिर ऐसी कौन सी विधा अपनाने के सीएम नीतीश ने काम किया जिससे भूमिहार की आबादी कम हो गई. 

 सियासत में भूमिहार नेताओं का दबदबा : बिहार की सियासत में भूमिहार नेताओं का काफी दबदबा है. वर्तमान में विधानसभा में भूमिहार बिरादरी के 21 विधायक हैं. वहीं बिहार में 3 भूमिहार लोकसभा सांसद हैं. इसके अलावा बिहार के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा भी भूमिहार जाति से आते हैं. वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह भी भूमिहार बिरादरी से हैं. नीतीश कैबिनेट में भूमिहार बिरादरी के विजय चौधरी मंत्री हैं जो वित्त मंत्रालय देखते हैं. ऐसे में भूमिहारों की आबादी बढ़ने के बजाय घट जाने पर इस जाति के लोगों द्वारा सर्वे रिपोर्ट पर सवाल उठाया जा रहा है. इसी क्रम में डॉ रामसागर ने नीतीश सरकार पर आरोप लगाए हैं कि जिन जातियों ने विधानसभा उपचुनाव में जदयू का खुलकर विरोध किया उनकी आबादी कम कर दी गई. 

Suggested News